विश्व हिंदू परिषद (VHP) की एक टीम ने रविवार को दिल्ली में स्थित हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण किया। यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद गहराया हुआ है। वीएचपी ने इस निरीक्षण को ऐतिहासिक संदर्भ का अध्ययन करार दिया है। संगठन का कहना है कि वे दिल्ली के ऐतिहासिक महत्व का विश्लेषण कर रहे हैं।
मकबरे का अध्ययन करने का उद्देश्य
विश्व हिंदू परिषद की दिल्ली इकाई ने बयान जारी कर बताया कि संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही सफदरजंग मकबरे का भी दौरा करेगा। हुमायूं के मकबरे पर गए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व दिल्ली इकाई के सचिव सुरेन्द्र गुप्ता ने किया। सुरेंद्र गुप्ता ने स्पष्ट किया कि इस निरीक्षण का कोई विवादास्पद अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह दौरा ऐतिहासिक तथ्यों को समझने और अध्ययन करने के उद्देश्य से किया गया है। वीएचपी का प्रतिनिधिमंडल इस अध्ययन के निष्कर्ष केंद्र सरकार को सौंपेगा।
औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद
विश्व हिंदू परिषद के इस दौरे की पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर कुछ हिंदू संगठनों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन हैं। इन संगठनों का आरोप है कि 17वीं सदी के मुगल शासक औरंगजेब ने हिंदुओं पर अत्याचार किए थे।
औरंगजेब कब्र विवाद की शुरुआत
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी ने औरंगजेब की तारीफ की। उन्होंने कहा कि औरंगजेब कोई क्रूर शासक नहीं था, बल्कि उसके शासनकाल में भारत की जीडीपी 24% थी और देश ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था। अबू आजमी के बयान के बाद विवाद भड़क गया।
अबू आजमी के खिलाफ केस दर्ज किया गया और उन्हें विधानसभा से पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। इसके बाद महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज हो गई।
विश्व हिंदू परिषद ने स्पष्ट किया है कि उनका मकसद केवल ऐतिहासिक तथ्यों का अध्ययन करना है, न कि किसी नए विवाद को जन्म देना। हालांकि, औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच इस निरीक्षण को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार वीएचपी की रिपोर्ट पर क्या कदम उठाती है और इस विवाद का क्या परिणाम निकलता है।