दिल्ली। कभी पैरों में पैड बाँधकर सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली को विश्व रिकॉर्ड बनाते देखने वाले इस शख्स की क़िस्मत ऐसी रही कि कभी भारतीय क्रिकेट टीम का कैप नहीं मिल सकी लेकिन अब उसने लड़कियों की उस टीम को ICC का विश्वकप जितवा दिया है जो इससे पहले दो बार नाकाम हो चुकी थीं।
क्षितिज पर चमकने का यह इंतज़ार सिर्फ भारत, भारतीय महिला क्रिकेट और क्रिकेट फैन्स का ही नहीं था। यह इंतज़ार अमोल मजूमदार का भी था। आपके ज़हन में सवाल आने से पहले ही बता दें कि ये वही शख्स हैं जो कोच के तौर पर ICC महिला विश्वकप जीतने वाली लड़कियों की प्रतिभा को 2023 से धार दे रहा था।
ICC महिला विश्वकप जीतने में अहम भूमिका निभाने वाले टीम के कोच अमोल मजूमदार ने भी भारतीय टीम का सितारा बनने वाले दूसरे खिलाडियों की तरह बचपन में ही बैट पकड़ लिया था। एक किस्सा 1988 का है जब वह 13 साल के थे जब स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट हैरिस शील्ड के दौरान पैड पहनकर बल्लेबाजी के लिए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे। उसी दिन अमोल की ही टीम से खेल रहे सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रन की साझेदारी कर इतिहास रच दिया। दिन का खेल खत्म हो गया, उनकी टीम की पारी घोषित कर दी गई। अमोल को बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। फिर तो यह एक सिलसिला बन गया।
अमोल ने बाम्बे (अब मुंबई) की टीम से फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया तो पहले ही मैच में 260 रन की पारी खेली जो उस समय एक कीर्तिमान बना। यह उस समय फर्स्ट क्लास क्रिकेट में किसी खिलाडी के डेब्यू मैच में सबसे बडा स्कोर था।
अमोल की इस पारी के बाद उनकी तुलना सचिन, कांबली से होने लगी। लेकिन क़िस्मत ने साथ नहीं दिया। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दो दशक से ज्यादा लंबे करियर में उन्होंने 11,000 से ज्यादा रन बनाए। 30 शतक जमाए। लेकिन भारतीय टीम में कभी चुने नहीं जा सके। जिस दौर में अमोल क्रिकेट खेल रहे थे उस समय भारतीय टीम में एक से बढ़कर एक प्रतिभावान खिलाडी मौजूद थे। इन खिलाडियों में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे सितारे शामिल हैं। नतीजा ये रहा कि अमोल के लिए भारतीय टीम में बल्लेबाज़ के तौर पर कभी जगह नहीं बनी।
किसी भी शख्स के सब्र की सीमा होती है। साल 2002 आते-आते अमोल का भी धैर्य चूकने लगा। तब उनके पिता अनिल मजूमदार ने बेटे साहस बंधाया। पिता की क्रिकेट न छोड़ने की सलाह काम आई। अमोल ने वापसी की और 2006 में मुंबई को रणजी ट्रॉफी जीतने में अपना रोल निभाया। इसी दौरान युवा रोहित शर्मा को फर्स्ट क्लास क्रिकेट में एंट्री मिली।
दो दशक के अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर में 171 मैच खेलकर 11,167 रन और 30 शतक बनाने वाले अमोल मजूमदार को भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी नहीं मिल सकी। उन्होंने 2014 में एक्टिव क्रिकेट से संन्यास ले लिया और कोचिंग का रास्ता अख़्तियार कर लिया। साल 2023 में उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम के हेड कोच की जिम्मेदारी मिली। दो सालों में उन्होंने हरमनप्रीत कौर की टीम को वो गुर और जज्बा दे दिया जो मिताली राज और अंजुम चोपड़ा की टीम नहीं पा सकी जिसकी वजह से फ़ाइनल में पहुँचने के बावजूद मायूस रह गई थी। अपनी कोचिंग से भारतीय टीम को तीसरा ICC वन डे वर्ल्ड कप जीतने में मदद करके अमोल अब भारत के लिए ‘अनमोल’ बन गए हैं।