दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें केन्द्रीय वेतन आयोग के विचारार्थ विषयों को स्वीकृति दे दी है।
सरकारी कर्मचारियों को इसका हमेशा इंतजार रहता है। सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी ताकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों में बदलावों की जांच और उससे संबंधित अनुशंसा की जा सके।
आठवां केंद्रीय वेतन आयोग अस्थायी निकाय होगा। आयोग में एक अध्यक्ष, एक सदस्य (अंशकालिक) और एक सदस्य-सचिव शामिल होंगे। यह अपने गठन की तारीख से 18 महीनों के भीतर अपनी अनुशंसाएं देगा।
मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि आवश्यक हुआ तो आयोग अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दिए जाने से पहले किसी भी मामले पर अंतरिम रिपोर्ट भेजने पर विचार कर सकता है। सरकार ने आयोग की सिफारिशों के लिए गाइडलाइन भी तय कर दी जिसमें कहा गया है कि आयोग अपनी सिफारिशें देते समय देश की आर्थिक स्थिति और राजकोषीय विवेक अर्थात सरकारी वित्तीय व्यवस्था के प्रबंधन तथा खर्च और राजस्व के संतुलन की आवश्यकता को ध्यान में रखेगा।
आयोग से अपेक्षा की गयी है कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि विकास व्यय और कल्याणकारी उपायों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों। आयोग से यह भी अपेक्षा की गई है कि गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की गैर-वित्तपोषित लागत को सिफारिशें देते समय ध्यान में रखेगा। गाइडलाइन में कहा गया है राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर अनुशंसाओं का संभावित प्रभाव का भी ध्यान रखना है। केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध प्रचलित पारिश्रमिक संरचना, लाभ और कार्य स्थितियों पर सिफारिशें इसमें शामिल होंगी
केंद्रीय वेतन आयोगों का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पारिश्रमिक ढांचे, सेवानिवृत्ति लाभों और अन्य सेवा शर्तों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार करने और उनमें आवश्यक बदलावों के संबंध में सिफारिशें देने के लिए किया जाता है। आमतौर पर वेतन आयोगों की अनुशंसाएं प्रत्येक दस वर्ष के अंतराल पर लागू की जाती हैं। इस प्रवृत्ति के अनुसार 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को सामान्यतः एक जनवरी 2026 से लागू करना अपेक्षित है।