नागपुर में 17 मार्च को हुई सांप्रदायिक हिंसा की तस्वीरें जिसने भी देखीं वो उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है । महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की साझा सरकार है और लोगों को उम्मीद है कि दंगाइयों को बख्शा नहीं जाएगा ।
ऐसे लोगों पर सरकार सख्त एक्शन लेगी जिन्होने पक्की पहचान करने के बाद लोगों की दुकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की और उन्हे जलाया । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा भी है कि किसी भी दंगाई को नहीं छोड़ेंगे ।
इस बीच एनसीपी प्रमुख और डिप्टी सीएम अजित पवार ने एक बयान दिया है वह बहुत से लोगों के गले नहीं उतर रहा है । कई लोगों का मानना है कि अजित पवार का बयान हिंसा के आरोपियों की पैरवी करने जैसा है ।
डिप्टी सीएम अजित पवार ने क्या कहा ?
रमजान का महीना चल रहा है । इसे देखते हुए अजित पवार की पार्टी एनसीपी ने एक इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था जिसमें वो भी शामिल हुए थे । इसमें उन्होने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि नागपुर हिंसा के आरोपियों पर सख्त एक्शन की बात नहीं कही ।
उन्होने कहा , ' मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आपका भाई अजित पवार आपके साथ है । जो कोई भी हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को आंख दिखाएगा, अगर कोई भी दो गुटों में झगड़ा कराकर अमन-शांति को भंग करेगा उसे बख्शा नहीं जाएगा '
अजित पवार ने कहा कि हमने होली साथ में मनाई है । अब गुड़ी पड़वा और उसके बाद ईद आएगी ...ये त्योहार हमें साथ रहना सिखाते हैं । राजनीतिक हलकों में अजित पवार के इस बयान को BJP नेता नितेश राणे के बयान के जवाब के रूप में देखा जा रहा है ।
औरंगजेब के कब्र को लेकर उभरे विवाद के बीच नीतीश राणे ने कहा था कि, छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में एक भी मुसलमान नहीं था । जब अजित पवार से राणे के इस बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नेताओं को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उनके बयानों से सांप्रदायिक तनाव पैदा न हो ।
दंगाईयों पर नरमी बरतने का आरोप
क्या अजित पवार नहीं चाहते हैं कि दंगाइयों पर सख्त एक्शन लिया जाए ? उनके विरोधी ऐसा ही मानते हैं । वो अजित पवार पर नागपुर दंगा को लेकर भी वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं । विरोधी पक्ष का कहना है कि अजित पवार दंगाईयों के खिलाफ सख्त बयान देने से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि उन्हे मुस्लिम वोटरों के नाराज होने का डर सता रहा है ।
नागपुर में 17 मार्च को हुई थी सांप्रदायिक हिंसा
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के नेता अबु आजमी के एक बयान के बाद औरंगजेब के नाम से शुरू हुई सियासत ने 17 मार्च को नागपुर में हिंसक शक्ल अख्तियार कर लिया था । विवादों के बीच बड़े सुनियोजित तरीके से अफवाह फैलाकर लोगों को इकट्ठा किया गया और हिंसक कार्रवाई के लिए उकसाया गया । ये अफवाह फैलाई गई कि कुरान की आयत लिखी चादर को जलाया गया है ।
औरंगजेब को रोल मॉडल मानने वाले उपद्रवियों ने पहचान करके घरों पर पथराव किया और सड़क पर खड़े वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की । दंगाईयों ने पुलिस पर भी हमला किया जिसमें तीन डिप्टी कमिश्नर रैंक के अधिकारी समेत तीस से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए । मामले में अबतक 100 सो ज्यादा उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस एक भी दंगाई को नहीं छोड़ने की बात कह रहे हैं ।