PM Says: वंदे मातरम शब्द नहीं, मंत्र है

Authored By: News Corridors Desk | 07 Nov 2025, 05:34 PM
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प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित वर्ष भर चलने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। मोदी ने इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि वंदे मातरम केवल एक शब्द नहीं है - यह एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है और एक पवित्र संकल्प है। उन्होंने यह भी कहा कि वंदे मातरम मां भारती के प्रति भक्ति और आध्यात्मिक समर्पण का प्रतीक है। 


प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शब्द हमें हमारे इतिहास से जोड़ता है, हमारे वर्तमान को आत्मविश्वास से भर देता है और हमारे भविष्य को यह विश्वास दिलाने का साहस देता है कि कोई भी संकल्प पूर्ण होने से परे नहीं है, कोई भी लक्ष्य हमारी पहुंच से परे नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 7 नवंबर ऐतिहासिक दिन है, राष्ट्र वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। उन्होंने कहा कि यह पावन अवसर हमारे नागरिकों को नई प्रेरणा और नई ऊर्जा प्रदान करेगा। इस दिन को इतिहास के पन्नों में अंकित करने के लिए, वंदे मातरम को समर्पित एक विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया गया है। 


मोदी ने मां भारती के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले भारत के सभी वीरों और विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, उपस्थित सभी लोगों को बधाई दी और वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर प्रत्येक नागरिक को शुभकामनाएं दीं।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के इन शब्दों को याद करते हुए कि बंकिमचंद्र का आनंदमठ केवल एक उपन्यास नहीं है—यह एक स्वतंत्र भारत का स्वप्न है, प्रधानमंत्री ने आनंदमठ में वंदे मातरम के गहन महत्व पर बल दिया। उन्होंने महात्मा गांधी की 1927 की टिप्पणी का उल्लेवख किया कि वंदे मातरम हमारे सामने अविभाजित भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है।  


वंदे मातरम से जुड़े एक अन्य पहलू और इसके महत्व पर मोदी ने कहा कि वंदे मातरम की भावना ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूरे देश को आलोकित किया था। हालांकि, उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि 1937 में, वंदे मातरम की आत्मा इसके महत्वपूर्ण पद्य को अलग कर दिया गया। यह गीत खंडित हो गया। उन्होंने बल देकर कहा कि इसी विभाजन ने देश के विभाजन के बीज बोए। इस सदी को भारत की सदी बनाने पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री ने दृढ़ता से कहा कि इसे हासिल करने की ताकत भारत और उसके लोगों में निहित है।