कैसे रची गई ससुर-दामाद को BSP से बाहर निकालने की साज़िश ? जानिए पर्दे के पीछे की पूरी कहानी...

Authored By: News Corridors Desk | 21 Mar 2025, 03:11 PM
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बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती ने जब से अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकाला है तब से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर माजरा क्या है ? क्यों मायावती को अपने ही भतीजे के खिलाफ इतना कड़ा एक्शन लेना पड़ा जिसे उन्होने अपना उत्तराधिकारी तक घोषित कर दिया था ? क्या बात सिर्फ पार्टी का अनुशासन तोड़ने तक सीमित है या फिर पार्टी पर कब्जे की है ये लड़ाई जिसमें आकाश पर विरोधी लॉबी भारी पड़ गई ? 

एक शादी समारोह के बाद हो गया बड़ा खेला  

आकाश आनंद के बसपा से निष्कासन के बाद से एक शादी समारोह की काफी चर्चा हो रही है । बताया जाता है कि इसी समारोह की आड़ लेकर आकाश के ताबूत में आखिरी कील ठोंकी गई । यह शादी थी आकाश आनंद के साले की जो आगरा में हुई थी । माना जाता है कि इसकी तस्वीरों ने ही आग में घी डालने का काम किया । परन्तु उन तस्वीरों में ऐसा क्या था जिसे देख मायावती भड़क गईं ? 

इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह समझने की कोशिश करते हैं कि फ़रवरी वाली शादी का वो कार्ड कैसे पूरी साज़िश में हथियार बन गया । आकाश आनंद के साले प्रफुल और मुस्कान की 9 और 10 फ़रवरी की शादी समारोह के लिए जो कार्ड छपवाया गया उसमे स्वागतोत्सुक में आकाश आनंद और उनकी पत्नी प्रज्ञा आनंद का नाम सबसे उपर रखा गया । 

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आकाश आनंद का नाम इसमें सबसे बड़े अक्षरों में लिखा गया । विनीत में आकाश आनंद के ससुर और पूर्व राज्य सभा सांसद अशोक सिद्दार्थ का नाम अंकित है । प्रफुल्ल सिद्धार्थ अशोक सिद्धार्थ के बेटे हैं और मुस्कान हेमंत प्रताप सिंह की बेटी है । यह आमंत्रण कार्ड बीएसपी में गिने-चुने लोगों को दिया गया । 
सूत्रों के मुताबिक इस शादी के बाद जो पार्टी दी गई थी उसको लेकर BSP में बड़ा विवाद हुआ । 

शादी के बाद की पार्टी बना मायावती की नाराजगी का कारण 

बताया जा रहा है कि बेटे की शादी के बाद दी गई पार्टी ही अशोक सिद्धार्थ से मायावती की नाराजगी का कारण बना । दरअसल अशोक सिद्धार्थ ने अपने बेटे की शादी की पार्टी में बीएसपी के गिने चुने नेताओं को ही बुलाया । इसमें उन राज्यों के कुछ खास नेता भी शामिल हुए थे, जिनके अशोक सिद्धार्थ प्रभारी थे । 

इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के कुछ खास और करीबी लोगों को अशोक सिद्धार्थ ने बुलाया था । अशोक सिद्धार्थ के दामाद और मायावती के भतीजे आकाश आनंद तो पार्टी में शामिल थे परन्तु बुआ मायावती की ग़ैर-हाजिरी कई लोगों को खटक गई । सूत्रों के मुताबिक पार्टी के थिंक टैंक और मायावती के बेहद करीबी माने जाने वाले सतीश चंद्र मिश्र, विश्वनाथ पाल को भी न्योता नहीं भेजा गया । 

आकाश विरोधी गुट को मिल गया मौका 

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ऐसा कहा जाता है कि आकाश आनंद के साले की शादी की पार्टी के बाद आकाश विरोधी गुट को बड़ा मौका हाथ लग गया । उन लोगों ने अशोक सिद्धार्थ के साथ-साथ आकाश आनंद के ख़िलाफ़ भी माहौल बनाना शुरू कर दिया । मायावती के आस-पास जमा चौकड़ी ने ये कहना शुरू कर दिया कि आकाश आनंद और अशोक सिद्धार्थ अंदरखाने मायावती विरोधी मुहिम चला रहे हैं ।

 सूत्रों के मुताबिक़ मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को कई बार इशारा किया था कि वह ज़्यादा फ़ोकस पार्टी पर दे और किसी के हाथ का मोहरा न बने । दरअसल इसमें आकाश आनंद के लिए अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ से दूरी बनाए रखने का संकेत भी छुपा था जिसे आकाश या तो वक्त पर समझ नहीं सके या फिर इसकी अनदेखी कर दी । इसके बाद से वो बुआ मायावती की आंखों में चुभने लगे । मायावती ने पहले अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला और फिर भतीजे आकाश आनंद का भी पत्ता साफ़ कर दिया । 

मायावती ने आकाश के निष्कासन की ये वजह बताई 

मायावती ने पहले भतीजे आकाश आनंद को पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से अलग करने की घोषणा की थी . लेकिन एक दिन बाद ही उन्होने आकाश को पार्टी से निष्काषित करने का भी एलान कर दिया । उन्होने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इसकी वजह बताते हुए लिखा- 

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"बीएसपी की आल-इण्डिया की बैठक में कल आकाश आनन्द को पार्टी हित से अधिक पार्टी से निष्कासित अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में लगातार बने रहने के कारण नेशनल कोआर्डिनेटर सहित सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था, जिसका उसे पश्चताप करके अपनी परिपक्वता दिखानी थी । लेकिन इसके विपरीत आकाश ने जो अपनी लम्बी-चौड़ी प्रतिक्रिया दी है वह उसके पछतावे व राजनीतिक मैच्युरिटी का नहीं बल्कि उसके ससुर के ही प्रभाव वाला ज्यादातर स्वार्थी, अहंकारी व गैर-मिशनरी है, जिससे बचने की सलाह मैं पार्टी के ऐसे सभी लोगों को देने के साथ दण्डित भी करती रही हूँ । " 

मायावती ने आगे कहा कि , "परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के हित में तथा मान्यवर श्री कांशीराम जी की अनुशासन की परम्परा को निभाते हुए श्री आकाश आनन्द को, उनके ससुर की तरह, पार्टी व मूवमेन्ट के हित, में पार्टी से निष्कासित किया जाता है ।"

आकाश आनंद ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में क्या लिखा था ? 

मायावती ने अपने पोस्ट में आकाश आनंद के जिस प्रतिक्रिया का जिक्र किया उसमें उन्होने खुद को मायावती का कैडर बताते हुए उनके फैसले के साथ खड़ा रहने की बात कही थी । साथ ही आकाश ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि, " अब एक बड़ी चुनौती भी है, परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है...कुछ विरोधी दल के लोग ये सोच रहे हैं कि पार्टी के इस फैसले से मेरा राजनीतिक करियर समाप्त हो गया । 

उन्हें समझना चाहिए कि बहुजन मूवमेंट कोई करियर नहीं, बल्कि करोड़ों दलित, शोषित, वंचित और गरीबों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की लड़ाई है।  यह एक विचार है, एक आंदोलन है, जिसे दबाया नहीं जा सकता। इस मशाल को जलाए रखने और इसके लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने के लिए लाखों आकाश आनंद हमेशा तैयार हैं।"

क्या आकाश का खेल सतीश चंद्र मिश्र ने बिगाड़ा ? 

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सूत्रों की माने तो मायावती के दिमाग़ में उन लोगों ने ज़हर भरा, जिन्हें इस शादी में नहीं बुलाया गया… शादी समारोह में न दिखने वालों में अहम चेहरा सतीश चंद्र मिश्रा का भी था । आकाश आनंद के करीबी लोग दबी जुबान में सतीश मिश्र, रामजी गौतम और मेवालाल गौतम पर मायावती का कान भरने का आरोप लगाते हैं । 

उनका मानना है कि  सतीश चंद्र मिश्र ने ही ऐसा ज़हर भरा कि भतीजे आकाश आनंद को पल भर में नायक से खलनायक बना दिया । आकाश के करीबी लोगों का मानना है कि आकाश के बढ़ते सियासी कद से सतीश मिश्र को लगा कि उनकी बीएसपी पर पकड़ कमजोर हो जाएगी । इसलिए पार्टी में अपनी ताकत बनाए रखने के लिए उन्होने आकाश को किनारे करवा दिया । 

दरअसल इस पूरे घटनाक्रम से पहले भी आकाश आनंद ने सार्वजनिक तौर पर  नाम लिए बिना BSP के कुछ बड़े नेताओं पर पार्टी और दलित समाज के खिलाफ काम करने के गंभीर आरोप लगाए थे । बताया जाता कि आकाश के इस बयान से पार्टी के कई बड़े नेता बौखलाने लगे । इसके बाद घटनाक्रम में तेजी से बदलाव हुआ ।