औरंगजेब की कब्र पर बढ़ाई गई सुरक्षा, बजरंग दल-VHP से मिली थी धमकी

Authored By: News Corridors Desk | 17 Mar 2025, 12:40 PM
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महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने आंदोलन का ऐलान किया है। हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि औरंगजेब ने देश और हिंदुओं पर अत्याचार किए थे, इसलिए उनकी कब्र का कोई अस्तित्व नहीं रहना चाहिए। वहीं, सरकार ने इस मामले को लेकर सुरक्षा बढ़ा दी है।

वीएचपी-बजरंग दल की चेतावनी


वीएचपी और बजरंग दल ने महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर सरकार ने औरंगजेब की कब्र नहीं हटाई, तो वे खुद 'कारसेवा' करेंगे। इसके बाद प्रशासन ने कब्र की सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया है।

वीएचपी के महाराष्ट्र-गोवा क्षेत्र प्रमुख गोविंद शेंडे ने इस मुद्दे पर कहा कि औरंगजेब के अत्याचारों को देखते हुए उसकी कब्र भारत में नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि हिंदू समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस कब्र को जल्द से जल्द हटाया जाए।

महाराष्ट्र कांग्रेस का विवादित बयान


महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने इस विवाद को और बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तुलना औरंगजेब से कर दी। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने अपने पिता को जेल में डाल दिया, अपने भाई की हत्या कर दी और धर्म का इस्तेमाल सिर्फ सत्ता पाने के लिए किया। सपकाल ने फडणवीस पर भी इसी तरह के आरोप लगाते हुए कहा कि वे भी धर्म का उपयोग केवल राजनीति के लिए करते हैं।

अबु आजमी के बयान से बढ़ा बवाल


महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर यह विवाद तब शुरू हुआ जब समाजवादी पार्टी के विधायक अबु आजमी ने मुगल शासक की तारीफ कर दी। इसके बाद विधानसभा में हंगामा हुआ और अबु आजमी को सस्पेंड कर दिया गया। फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं और पुलिस कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।

सरकार की प्रतिक्रिया


महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में संतुलित रुख अपनाने की कोशिश की है। प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है और कानून व्यवस्था बनाए रखने की बात कही है। हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

औरंगजेब की कब्र को लेकर उठे इस विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति को गरमा दिया है। एक ओर हिंदूवादी संगठन इसे हटाने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर विपक्ष सरकार को घेरने में लगा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे को कैसे सुलझाती है और महाराष्ट्र की कानून व्यवस्था को बनाए रखने में सफल होती है या नहीं।