कर्नाटक विधानसभा में जनता दल (सेक्युलर) के विधायक एमटी कृष्णप्पा ने एक अनोखी मांग रखते हुए कहा कि जिस तरह सरकार महिलाओं को विभिन्न योजनाओं के तहत मुफ्त सुविधाएँ दे रही है, उसी तरह पुरुषों को भी हर सप्ताह दो बोतल मुफ्त शराब दी जानी चाहिए। उनके इस बयान के बाद विधानसभा और सियासी गलियारों में चर्चा का दौर शुरू हो गया।
विधायक एमटी कृष्णप्पा का तर्क
विधानसभा में बोलते हुए एमटी कृष्णप्पा ने कहा, ''अध्यक्ष महोदय, मुझे गलत मत समझिए, लेकिन जब आप महिलाओं को 2000 रुपये, मुफ्त बिजली, और अन्य सुविधाएँ दे रहे हैं, तो यह पैसा हमारा ही है, है न? तो फिर शराब पीने वालों को भी हर सप्ताह दो बोतल मुफ्त देने में क्या दिक्कत है?'' उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि इसे कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से लागू किया जाए।
मंत्री केजे जॉर्ज की प्रतिक्रिया
विधायक के इस प्रस्ताव पर मंत्री केजे जॉर्ज ने चुटकी लेते हुए कहा, ''आप चुनाव जीतिए, सरकार बनाइए और यह कीजिए।'' उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार शराब की खपत को कम करने का प्रयास कर रही है, न कि इसे बढ़ाने का।
विधानसभा अध्यक्ष का जवाब
विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर ने भी इस मांग को लेकर असहमति जताई और कहा कि यदि सरकार मुफ्त शराब देने लगेगी, तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है। उन्होंने इसे एक गैर-व्यावहारिक प्रस्ताव बताया।
विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया
एमटी कृष्णप्पा के इस बयान पर राजनीतिक हलकों में घमासान मच गया है। विपक्षी दलों ने इसे गैर-जिम्मेदाराना बयान बताया, जबकि आम जनता में भी इसको लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कई लोगों का कहना है कि विधायक को इस तरह की मांग करने के बजाय जनता की असली समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
यह मांग भले ही मजाकिया लगे, लेकिन यह राजनीति में मुफ्त सुविधाओं और योजनाओं की बढ़ती प्रवृत्ति पर एक बहस को जन्म दे सकती है। क्या सरकार केवल एक वर्ग को लाभ दे या फिर सभी के लिए समान योजनाएँ बनाए? यह एक बड़ा सवाल है जिस पर गंभीर चर्चा की जरूरत है।