ईद का त्योहार, वोट बैंक के लिए वार पलटवार...

Authored By: News Corridors Desk | 29 Mar 2025, 08:49 PM
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ईद भाई चारे का त्यौहार है ...एक दूसरे को मिल कर प्यार बाँटने का त्योहार है । लेकिन उत्तर प्रदेश में सियासी वजहों से इस पर नया घमासान शुरू हो गया है । सीएम योगी की पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर सड़क पर नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी लगाई तो सियासत शुरू हो गई । कुछ नेताओं ने तो इस मुद्दे पर भड़काऊ बयान देने शुरू कर दिए । खासकर अखिलेश यादव की पार्टी के मुस्लिम सांसदों ने योगी सरकार के ख़िलाफ़ खुला मोर्चा खोल दिया है । 

प्रशासन को दे रहे चैलेंज 

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कैराना से समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने सड़क पर नमाज़ पढ़ने को लेकर बड़ा बयान दिया है ।  उन्होंने कहा कि जो सिलसिला सालों से चलता आ रहा है, उसे कोई नहीं रोक सकता । हर मज़हब का व्यक्ति सड़क पर उतरता है तो फिर 10 मिनट की नमाज़ पर हाय-तौबा क्यों ? इकरा हसन ने कहा कि वो इस पाबंदी को नहीं मानेंगी । सम्भल के समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि, प्रशासन नहीं बताएगा कि ईद की नमाज़ कहां होगी, कैसे होगी । 

AIMIM पार्टी के सुप्रीमो और सांसद असुदुद्दीन ओवैसी ने भी दो टूक कह दिया कि मस्जिद में जगह कम पड़ेगी तो नमाज़ सड़क पर भी होगी । ओवैसी  महाकुम्भ और कांवड़ यात्रा के दौरान की जाने वाली पुष्प वर्षा का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं ।

उत्तर प्रदेश में सड़क पर नमाज पढ़ने पर लगाई जा रही पाबंदी का विरोध करने वालों में एलजेपी नेता और एनडीए में शामिल चिराग़ पासवान भी शामिल हो गए हैं । चिराग़ पासवान ने कहा कि, ऐसे मुद्दे पर चर्चा से देश में असहमति का वातावरण बनता है, सम्प्रदायों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती है ।  जो इतने साल से जैसा करता रहा है वैसा ही करता रहेगा । सड़क पर नमाज़ पढ़ना कोई मुद्दा ही नहीं है ।

सड़क पर नमाज़ पढ़ने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी

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उत्तर प्रदेश में ईद के मौके पर सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने के आदेश दिए गए हैं । मेरठ में प्रशासन ने सड़क पर नमाज़ पढ़ने वालों पर कार्रवाई करने की बात कही है । 
पुलिस के मुताबिक सड़क पर नमाज़ पढ़ने वालों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की जाएगी और उनका पासपोर्ट रद्द करने की सिफ़ारिश भी की जाएगी । प्रशासन का कहना है कि आम लोगों के लिए रास्ते नहीं रोके जा सकते ।  

एक तरफ़ प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटा है तो वहीं दूसरी तरफ़ भड़काऊ राजनीति भी जारी है । बता दें कि 2017 में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री का पद संभालते ही नमाज और दूसरे धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर नई नीति बनाई थी और  सड़क पर ऐसे आयोजनों पर पाबंदी लगाई थी । सरकार ने उसी साल पहला आदेश दिया था जिसमें सड़क पर नमाज या हनुमान चालीसा पढ़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था । 

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29 जुलाई 2019 को अलीगढ़ में सड़क पर हनुमान चालीसा पढ़ने पर भी प्रतिबंध लगाया गया । 2022 में सड़क पर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान करने के बाद मेरठ में हिन्दूवादी नेता सचिन सिरोही के खिलाफ केस दर्ज किया गया था । 

उत्तर प्रदेश में सड़क पर सिर्फ नमाज पढ़ने पर ही प्रतिबंध नहीं है बल्कि किसी तरह का  धार्मिक अनुष्ठान बिना परमिशन के सड़क पर करने की मनाही है । लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कट्टरपंथी और मुसलमानों में वोट बैंक देखने वाले सड़क पर नमाज़ को जायज ठहराकर एक वर्ग को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं ।