वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने राष्ट्रपति को 16 वें वित्त आयोग की रिपोर्ट सौंप दी है।
सोलहवें वित्त आयोग का गठन भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के तहत किया था।
आयोग को 01 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच वर्षों की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था, जिसमें संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध प्राप्तियों के वितरण के साथ-साथ राज्यों के बीच ऐसी प्राप्तियों के संबंधित हिस्सों के आबंटन, राज्यों को सहायता अनुदान, आपदा प्रबंधन पहलों के वित्तपोषण की व्यवस्था की समीक्षा आदि पर सिफारिशें करनी थीं।
पनगढ़िया की अध्यक्षता वाले इस आयोग ने सोमवार को राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपी। आयोग की सदस्य ऐनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पांडा, टी. रबी शंकर और डॉ. सौम्या कांति घोष तथा आयोग के सचिव ऋत्विक पाण्डेय भी अध्यक्ष के साथ उपस्थित थे।
इसके बाद आयोग ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को भी इसकी एक प्रति सौंपी।
अपने कार्यकाल के दौरान, आयोग ने संघ और राज्यों के वित्त का विस्तार से विश्लेषण किया और संघ, राज्य सरकारों, विभिन्न स्तरों पर स्थानीय सरकारों, पिछले वित्त आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों, बहुपक्षीय संस्थानों, आयोग की सलाहकार परिषद और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट दो खंडों में है जिसमें खंड-I में विचारार्थ विषयों के अनुसार सिफारिशें शामिल हैं और खंड-II में अनुलग्नक दिए गए हैं।
यह रिपोर्ट केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किए जाने के बाद पब्लिक डोमेन में उपलब्ध होगी।