प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आने वाले सालों में, वे भारतीय खेती में बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं और भारत प्राकृतिक खेती में भारत वैश्विक केंद्र बनने की राह पर है।
मोदी ने कहा, “भारत प्राकृतिक खेती का ग्लोबल हब बनने की राह पर है।” उन्होंने कहा कि देश की जैव-विविधता बदल रही है और युवा अब खेती को एक आधुनिक, बड़े पैमाने पर बढ़ने वाले अवसर के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती देगा।
प्रधानमंत्री बुधवार को तमिलनाडु के कोयंबटूर में साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट 2025 का उद्घाटन कर रहे थे।
पिछले ग्यारह सालों में पूरे कृषि क्षेत्र में हुए बड़े बदलावों पर जोर देते हुए मोदी ने बताया कि भारत का कृषि निर्यात लगभग दोगुना हो गया है और सरकार ने कृषि को मॉडर्न बनाने में किसानों की मदद के लिए हर मुमकिन रास्ता खोला है। यह बताते हुए कि अकेले किसान क्रेडिट कार्ड KCC स्कीम के जरिए इस साल किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की मदद मिली है।
मोदी ने कहा कि सात साल पहले जब से पशुधन और मछली पालन सेक्टर को KCC का फायदा दिया गया है, तब से इन एरिया में काम करने वाले लोग भी इसका बड़े पैमाने पर लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जैविक खाद पर जीएसटी GST में कमी लाने से किसानों को और भी अधिक लाभ हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ देर पहले ही, इसी मंच से, प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त जारी की गई, जिससे देश भर के किसानों को 18,000 करोड़ रुपये उनके खाते में ट्रांसफर किए गए। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस स्कीम के तहत, अब तक छोटे किसानों के बैंक खाते में सीधे 4 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं, जिससे वे खेती-बाड़ी की अपनी अलग-अलग जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य प्राकृतिक खेती को पूरी तरह से विज्ञान आधारित आंदोलन बनाना हो।”
इस बात पर जोर देते हुए कि एक विकसित भारत के लिए भविष्योन्मुखी कृषि प्रणाली बनाने के लिए मिलकर कोशिश करने की जरूरत है, प्रधानमंत्री ने किसानों से “एक एकड़, एक सीजन” प्राकृतिक खेती शुरू करने और उसे करने एवं उसके परिणाम के आधार पर आगे बढ़ने की अपील की।