वाराणसी। नहाय खाय के साथ शनिवार को छठ महापर्व की शुरुआत हो गयी है जो उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण कर 28 अक्टूबर मंगलवार को समाप्त होगा।
यहां जानिए पूरा डिटेल-
पहला दिन- नहाय खाय, जो 25 अक्टूबर 2025, शनिवार को है।
दूसरा दिन- खरना, जो कि 26 अक्टूबर रविवार को है।
तीसरा दिन- संध्या सूर्य अर्घ्य, जो 27 अक्टूबर सोमवार को दिया जाएगा।
चौथा दिन- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, जो 28 अक्टूबर मंगलवार को कदया जाएगा।
अब पढ़िए और विवरण'
नहाय खाय- छठ पूजा का पहला दिन होता है नहाय खाय। इस दिन व्रती किसी पवित्र नदी में स्नान करके, इस पवित्र व्रत की शुरुआत करती हैं। स्नान के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है, जिससे व्रत की शुरुआत हो जाती है. इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 42 मिनट पर होगा।
छठ पूजा का दूसरा दिन होता है खरना। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम के समय व्रती मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर गुड़ की खीर और घी से बनी रोटी तैयार करती हैं। सूर्य देव की विधिवत पूजा के बाद यही प्रसाद सबसे पहले ग्रहण किया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रती अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने तक अन्न और जल का पूर्ण रूप से त्याग करती हैं।
संध्या अर्घ्य- छठ पूजा का तीसरा और महत्वपूर्ण दिन होता है संध्या अर्घ्य। इस दिन व्रती दिनभर बिना जल पिए निर्जला व्रत रखती हैं। फिर, शाम को व्रती नदी में डुबकी लगाते हुए ढलते हुए सूरज को अर्घ्य देती हैं। इस दिन सूर्यास्त शाम 5 बजकर 40 मिनट पर होगा।
ऊषा यानी की उगते हुए सूर्य को अर्घ्य – इस पूजा का चौथा और आखिरी दिन होता है सुबह के सूरज को अर्घ्य देने का। इस दिन सभी व्रती और भक्त नदी में डुबकी लगाते हुए उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगा। अर्घ्य देने के बाद, 36 घंटे का व्रत प्रसाद और जल ग्रहण करके खोला जाता है, जिसे पारण कहा जाता है।
पारण में उपवास रखने वाली महिलाएं बहुत सारी हरी सब्जी,पकौड़ी और दाल के साथ चावल खाकर अपने उपवास को तोड़ती हैं।