क्या अखिलेश को सबक सिखाने के लिए आजम खान और चंद्रशेखर के साथ मिलकर कांग्रेस लिख रही नई स्क्रिप्ट ?

Authored By: News Corridors Desk | 03 Mar 2025, 05:54 PM
news-banner

उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए नए राजनैतिक सामाजिक गठजोड़ की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है । यदि ऐसा होता है तो यह बीजेपी से ज्यादा समाजवादी पार्टी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है । 

चर्चा का बाजार गरम है । कहा जा रहा है कि अब्दुल्ला आजम की अखिलेश यादव से बगावत और आजाद समाज पार्टी ( कांशीराम ) के प्रमुख चंद्रशेखर रावन की एंट्री से रामपुर और आस-पास के इलाकों की सियासत पूरी तरह से पलटने वाली है ।  
नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं आजम 

जेल में बंद आजम खान के करीबी नेताओं से ऐसे संकेते मिल रहे हैं कि वो जल्द ही समाजवादी पार्टी से अलग एक नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं ।  यदि ऐसा होता है तो समाजवादी पार्टी और आजम खान के रास्ते अलग हो जाएंगे जो अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका होगा । 

यह भी कहा जा रहा है कि आजम खान ने डीएम यानि दलित और मुस्लिम गठबंधन का फॉर्मूला तैयार कर लिया है । इस गठबंधन में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के शामिल होने के कयास भी लगाए जा रहे हैं । 

पहले से मिलने लगे थे संकेत 
 
आजम खान के समाजवादी पार्टी से अलग होने के संकेत बहुत पहले से मिलने लगे थे लेकिन बताया जाता है कि समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह से रिश्तों ने इस प्लानिंग को पूरा नहीं होने दिया । 

आजम ने पिछले साल 10 दिसंबर को आजम खान की एक चिट्ठी जारी की गई थी जिसमें उन्होने समाजवादी पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे । उसके बाद से कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए । उस समय आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम भी जेल के अंदर थे । अब 17 महीने बाद अब्दुल्ला जेल के बाहर आ चुके हैं । 

जल्द हो सकती है अब्दुल्ला-चंद्रशेखर की मुलाकात 

SE93VAc.jpeg

आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम और चंद्रशेखर रावन की जल्द ही मुलाकात की संभावना जताई जा रही है ।  असदुद्दीन ओवैसी पहले ही आज़म खान के साथ खड़े होने का संकेत दे चुके हैं । इस गठबंधन के होते ही रामपुर, नगीना और आसपास की सभी सीटों पर फिर से आज़म खान का कब्जा होगा । 

आजम खान के न होने से समाजवादी पार्टी एक बार तगड़ा झटका खा चुकी है ।  साल 2009 के लोकसभा चुनाव के वक्त अमर सिंह, जया प्रदा और कल्याण सिंह की ओर मुलायम सिंह के ज्यादा झुकाव होने से नाराज होकर आजम खान ने बगावत कर दी थी । 

इसके बाद उन्हे पार्टी से बाहर कर दिया गया । इसकी वजह से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो गया और कांग्रेस को इसका सीधा फायदा मिला । तब कांग्रेस ने लोकसभा की 21 सीटें जीत ली थी । 

क्या लिखी जा चुकी है नई स्क्रिप्ट ? 

 क्या एक बार फिर इतिहास दोहराने की तैयारी है ? क्या 2027 की तैयारी में राहुल गांधी ने अखिलेश यादव की चुनौती से निपटने के लिए इस स्क्रिप्ट को लिखा है ? 
क्या ओवैसी-आजम और रावण मिलकर कांग्रेस का साथ देंगे या आज़म खान के मन में कुछ और चल रहा है ? 

क्या इसी रणनीति की वजह से रायबरेली जाने पर अखिलेश राहुल की मुलाकात नहीं होती है ? क्या इस सुगबुगाहट की भनक अखिलेश को पहले ही लग चुकी थी जिसकी वजह से उपचुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी ? 

सवाल तो ढेर सारे हैं  । ऐसे ही सवाल आज़म खान ने अपनी चिट्ठी में भी अखिलेश को लेकर उठाए थे । उन्होंने इंडिया गठबंधन पर रामपुर में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार की अनदेखी करने का आरोप लगाया । आजम ने पूछा था कि यदि संभल की घटना पर संसद में चर्चा हुई तो रामपुर का मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया । 

आजम-ओवैसी के बातचीत की आई थी खबर 

सूत्र बताते हैं कि आजम से जेल में मिलने गए एक व्यक्ति ने फोन पर असदुद्दीन ओवैसी से उनकी बात कराई थी । अगर ये सच है और इस मोर्चे में AIMIM की भी एंट्री होती है तो पश्चिमी यूपी में खेल हो सकता है ।  ओवैसी जब भी यूपी आते हैं आजम का हमदर्द होने का जिक्र जरूर करते हैं । इससे भी चर्चा को बल मिलता है कि बड़े खेल की तैयारी के लिए बड़ी राणनीति बन चुकी है, बस आज़म के फाइनल हां का इंतजार है । 

एक समय था जब आजम खान को उत्तर प्रदेश का मिनी सीएम कहा जाता था । लेकिन बाद में अखिलेश से उनकी दूरी बढ़ती चली गई । आजम खान का कहना है कि जिंदगी के सबसे बुरे दौर में अखिलेश यादव उनके साथ खड़े नहीं हुए । यह बात को आज़म भुला नहीं पा रहे । माना जाता है कि इसी वजह से अब वोअखिलेश को पटखनी देनी की तैयारी कर रहे हैं । 

रिपोर्ट : हरीश कुमार सारस्वत

परिचय :-  15 साल से ज्यादा वक्त से न्यूज इंडस्ट्री में सक्रिय हैं । 2010 में साधना न्यूज से करियर की शुरुआत करने के बाद न्यूज नेशन के यूपी चैनल न्यूज स्टेट यूपी की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रहे।  जी न्यूज और टाइम्स नाउ नवभारत में विभिन्न पदों पर काम किया । भारत 24 और इंडिया न्यूज में भी काम कर चुके हैं ।