दिल्ली के दूत ‘कौशल’ क्या लखनऊ में सीएमओ की तस्वीर बदल देंगे ?

Authored By: News Corridors Desk | 22 Apr 2025, 09:49 PM
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उत्तर प्रदेश में करीब 33 आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर के बाद से चर्चा का बाजार गर्म है कि क्या कुछ बड़ा होने वाला है।यह कोई पहला मौका नहीं है जब सूबे में बड़े स्तर पर प्रशासनिक बदलाव किए गए हैं। परन्तु इस बार कुछ अधिकारियों के बदले हुए प्रोफाइल को लेकर कई तरह की कयासबाजी शुरू हो गई है।

इनमें सबसे चर्चित नाम तेज-तर्रार आईएएस अधिकारी कौशल राज शर्मा का है, जिन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सचिव बनाया गया है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कमिश्नर थे, जहां से तबादला कर मुख्यमंत्री के ऑफिस में नई जिम्मेदारी दी गई है। 

आख़िर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के कमिश्नर को सीएम ऑफिस में तैनात करने के पीछे कौन है, उसका मक़सद क्या है, और इसका हासिल क्या होगा? ये कुछ सवाल हैं जो लखनऊ से दिल्ली तक तैर रहे हैं।

प्रधानमंत्री के पसंदीदा अधिकारियों में से हैं कौशल राज शर्मा 

कौशल राज शर्मा को प्रधानमंत्री के पसंदीदा अफसरों में माना जाता है। 2 नवंबर 2019 को कौशल राज शर्मा बनारस के डीएम बनाए गए। कहते हैं पीएम मोदी को उनका काम इतना पसंद आया कि तबादले की जगह उनका प्रमोशन कर दिया गया।10 अक्टूबर 2022 को वाराणसी के ही मंडलायुक्त बना दिए गए। 

अपने कार्यकाल के दौरान विश्वनाथ कॉरिडोर, रोपवे परियोजना, नमो घाट और विकास के कई अन्य प्रोजेक्ट्स को उन्होंने काफी सफलतापूर्वक पूरा किया। वो न सिर्फ तमाम प्रजेक्ट्स पर पैनी नजर रखते रहे बल्कि सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट भी करते रहे। 

पीएमओ से कौशलराज शर्मा की नजदीकी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब वाराणसी के मंडलायुक्त पद से उनका ट्रांसफर प्रयागराज कर दिया गया था, तब योगी सरकार को 24 घंटे के अंदर ही अपना फैसला बदलना पड़ा। इसलिए जब उन्हें मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में नई जिम्मेदारी दी गई है तो इसकी चर्चा हो रही है। 

क्या योगी पर नजर रखना चाहता है दिल्ली दरबार ? 

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बीजेपी के एक खेमे की ओर से संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि कौशल राज शर्मा दिल्ली- लखनऊ और बनारस के बीच ब्रिज की भूमिका निभाएंगे क्योंकि वह पीएमओ के काफी करीब रहे हैं और सीएम योगी के साथ भी उनका अच्छा तालमेल है। परन्तु कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या वाकई में दिल्ली-लखनऊ और बनारस के बीच तालमेल की कमी हो गई है या फिर कोई और कारण है ? 

राजनीति के कई जानकार कौशल राज शर्मा के तबादले को बीजेपी की अंदरूनी राजनीति से जोड़कर देखते हैं । राजनीतिक हलकों में पर्दे के पीछे इस बात की काफी चर्चा है कि पीएमओ की ओर से दबाव देकर यह ट्रांसफर कराया गया है ताकि योगी आदित्यनाथ पर नजर रखी जा सके । 

कई लोग इस फैसले को योगी आदित्यनाथ के लगातार बढ़ते कद को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की चिंता से जोड़कर देख रहे हैं। वहीं कई लोग इसके पीछे की वजह योगी आदित्यनाथ के करीबी अधिकारियों के मनमाने रवैये को मानते हैं। बताया जाता है कि पार्टी नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने आलाकमान से इस बात की शिकायत की है कि उनकी कही बातों पर कोई एक्शन नहीं होता।

सीएम के करीबी अधिकारियों पर केंद्रीय नेतृत्व की नजर

राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर भी काफी चर्चा है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व तक कई अधिकारियों को लेकर काफी शिकायतें पहुंची है। ये वो अधिकारी बताए जाते हैं जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम का हिस्सा हैं और उनके विश्वासी माने जाते हैं। ऐसी खबर है कि पार्टी के कई नेता से लेकर कार्यकर्ता तक उनसे काफी नाराज हैं और पार्टी आलाकमान से लगातार शिकायत कर रहे हैं।

उनका कहना है कि ये अधिकारी अपनी मनमानी करते हैं और उनकी बिल्कुल भी नहीं सुनते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम करने के तरीके से भी पार्टी का एक तबका नाखुश हैं। कई लोग तो उन पर जातिवादी राजनीति का भी आरोप लगाते रहे हैं। सहयोगी दलों के नेताओं की ओर से भी ऐसी ही शिकायतों की बात कही जा रही है । माना जा रहा है कि कौशल राज शर्मा को सीएम ऑफिस में बैठाकर ऐसे अधिकारियों पर भी धीरे-धीरे नकेल कसी जाएगी। 

सीएम योगी के किन करीबियों को लेकर हो रही चर्चा ?  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में आईएएस अधिकारियों के साथ साथ कई ऐसे लोग भी हैं जो गोरखपुर मठ से भी जुड़े हुए हैं और काफी लंबे अर्से से उनके साथ काम कर रहे हैं । 

बल्लू राय 

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सीएम योगी के करीबी अधिकारियों में सबसे पहला नाम आता है उमेश सिंह उर्फ बल्लू राय का जो गोरखपुर जिले के पिपराइच विधानसभा क्षेत्र के सिरसिया गांव के रहने वाले हैं। वह 20 वर्षों से अधिक समय से योगी आदित्यनाथ के साथ जुड़े हुए हैं। बल्लू राय के परिवार की तीन पीढ़ियां गोरक्षपीठ से जुड़ी रही हैं। 

बल्लू की ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, वक्त की पाबंदी और विनम्र स्वभाव जैसे गुणों से योगी काफी प्रभावित हैं और उनपर काफी विश्वास भी करते हैं । बल्लू राय को योगी का दाहिना हाथ माना जाता है । कहा तो यहां तक जाता है कि बल्लू राय योगी आदित्यनाथ के चेहरे को देखकर उनका मनोभाव पढ़ लेते हैं । 

वह फोन रिसीव करने से लेकर योगी की हर छोटी-बड़ी जरूरतों का ख्याल रखते हैं। बल्लू राय सीएम के साथ साए की तरह रहता है। कहा जाता है कि बिना उसकी अनुमति के कोई भी सीएम योगी आदित्यनाथ तक नहीं पहुंच सकता है । 

 राजभूषण सिंह रावत

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राजभूषण सिंह रावत वर्तमान में मुख्यमंत्री कार्यालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) पर तैनात हैं । वह भी गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मठ से लंबे समय से जुड़े हैं और योगी आदित्यनाथ के सबसे विश्वासपात्र लोगों में से माने जाते हैं ।  जब योगी सांसद थे, तब रावत दिल्ली में उनके निजी सहायक के रूप में कार्यरत थे ।

2017 में योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजभूषण सिंह रावत दिल्ली से लखनऊ आए और OSD के रूप में नियुक्त हुए। उनकी भूमिका गोरखनाथ मठ और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ के दैनिक कार्यों को संभालने की है ।

संजीव सिंह

संजीव सिंह योगी आदित्यनाथ के सीम बनने के बाद 2017 में OSD के रूप में नियुक्त हुए थे । आज भी वह इस पद पर बने हुए हैं । गोरखनाथ मठ और योगी के साथ उनका पुराना जुड़ाव है। संजीव सिंह की भूमिका प्रशासनिक कार्यों और मुख्यमंत्री कार्यालय की विश्वसनीयता बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। कार्यालय की निगरानी और समन्वय पर उनकी खास तौर से नजर रहती है ।

प्रखर वर्मा

प्रखर वर्मा गोरखपुर के रहने वाले हैं और 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के OSD के रूप में नियुक्त किए गए थे तब से इस पद पर कार्यरत हैं। वह भी गोरखपुर पीठ और योगी आदित्यनाथ से काफी दिनों से जुड़े बताए जाते हैं । क्षेत्रीय समन्वय में मदद की  जिम्मेदारी निभाते हैं । 


योगी के करीबी कई आईएएस अधिकारी भी रडार पर ? 

कई आईएएस अधिकारियों को लेकर भी काफी चर्चा हो रही है । ऐसा कहा जा रहा है कि ये आईएएस अधिकारी भी योगी विरोधियों की आंख की किरकिरी बने हुए हैं । विरोधी गुट का कहना है कि ये अधिकारी उनकी बात सुनते तक नहीं हैं । ऐसे में उनके लिए जनता को जवाब देना काफी भारी पड़ता है । बताया जाता है कि उन अधिकारियों पर भी बीजेपी शीर्ष नेतृत्व और पीएमओ की पैनी नजर है । 

अवनीश अवस्थी पर कसी जाएगी नकेल?

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जिन आईएएस अधिकारियों को सीएम योगी के काफी करीब माना जाता है उनमें पहला नाम सीएम योगी के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी का है। अवनीश अवस्थी योगी सरकार में अपर गृह सचिव रहे हैं और सबसे ताकतवर आईएएस अधिकारियों में शुमार किए जाते हैं । 

1987 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश अवस्थी 31 अगस्त 2022 को रिटायर हुए  थे।सीएम योगी उनपर कितना भरोसा करते हैं इसका पता इस बात से चलता है कि सेवानिवृति के बाद उन्हें न सिर्फ अपना मुख्य सलाहकार बनाया बल्कि उन्हें तीन बार सेवा विस्तार भी दिया जा चुका है ।  योगी आदित्यनाथ उनकी सलाह को काफी तवज्जो देते हैं । 

डिंपल वर्मा पर कसी जाएगी नकेल ? 

1989 बैच की आईएएस अधिकारी डिंपल वर्मा बीते साल अक्टूबर में सेवानिवृत्त हुई थीं। फिलहाल वह उत्तर प्रदेश भू संपदा नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) की सदस्य हैं । यूपी में RERA एक बहुत महत्वपूर्ण विभाग है और तैनाती के लिए कई आईएएस अधिकारियों का पसंदीदा विभाग भी माना जाता है । 

डिंपल वर्मा की छवि एक जुझारू अधिकारी की रही है।जब वह गोरखपुर में बतौर डीएम तैनात थीं, तब से सीएम योगी उन्हें जानते हैं। डिंपल वर्मा भी वक्त की पाबंदी के साथ किसी काम को पूरा करने के लिए जानी जाती हैं। खासकर कोरोना काल में जिस तरह से जमीन पर उतर कर उन्होंने लोगों का ख्याल रखा उससे सीएम काफी प्रभावित हुए । डिंपल वर्मा के पति प्रशांत कुमार उत्तर प्रदेश के वर्तमान डीजीपी हैं । 

अमिताभ यश पर कसी जाएगी नकेल?

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अमिताभ यश 1996 बैच के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी हैं । वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्हें सीएम योगी के पसंदीदा अफसरों में गिना जाता है। 2007 में यूपी एसटीएफ का एसएसपी बनाए जाने के बाद अमिताभ यश काफी चर्चा में आए। उन्होंने अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाना शुरू किया। मीडिया में आई  रिपोर्ट्स के मुताबिक वह मुठभेड़ों में करीब 150 से ज्यादा बदमाशों को ढेर कर चुके हैं । 

चित्रकूट के जंगलों में रहने वाले डकैतों के उन्मूलन का भी उन्हें श्रेय दिया जाता है । आतंक का पर्याय माना जाने वाले कुख्यात डकैत ददुआ और ठोकिया को भी उनकी टीम ने मार गिराया था । बहराइच में सांप्रदायिक तनाव के बाद हाथ में पिस्तौल लहराकर उपद्रवियों को खदेड़ने का उनका वीडियो भी काफी वायरल हुआ था। 

अब देखना है कि लखनऊ में उन अधिकारियों की ज़्यादा चलती है, जिन्हें योगी पसंद करते हैं या फिर उन अधिकारियों की फ़ौज खड़ी की जाएगी, जो लखनऊ की कम और दिल्ली की ज़्यादा सुनेंगे. कहने वाले तो यही कह रहे हैं कि अभी टीम योगी में सेंधमारी शुरू हुई है, असली तस्वीर तो कुछ दिनों के बाद ही साफ़ हो पाएगी।