अखिलेश यादव 2017 से यूपी की सत्ता का इंतज़ार कर रहे हैं । अब अपनी खोई ज़मीन पाने के लिए उन्होंने पीडीए का फॉर्मूला निकाला है । इसका फायदा वो लोकसभा चुनावों मेंउठा भी चुके हैं, परन्तु 2027 के विधानसभा चुनाव में यह फॉर्मूला कितना असरदार रहेगा यह देखना अभी बाकी है ।
राजनीति के कई जानकारों की मानें तो 2027 से पहले ही अखिलेश यादव के पीडीए फॉर्मूले की असल टेस्टिंग होने वाली है । अगर अखिलेश का ये फॉर्मूला यहां काम कर गया तो अखिलेश 2027 में बड़ा कमाल कर सकते हैं ।
हम बात कर रहे हैं यूपी पंचायत चुनावों की जिसका ताल्लुक ग्राम सभा, क्षेत्र पंचायत और ज़िला पंचायत से है । कार्यपालिका की सबसे छोटी इकाई जहां से सियासत के समीकरण बनने की शुरुआत होती है , बूथ लेवल पर पकड़ साबित होती है ।
यूपी में 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले पंचायत चुनाव होने हैं जिसे अखिलेश के लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है । हालांकि इन चुनावों में पार्टियां सीधे शामिल नहीं होती लेकिन उम्मीदवारों को अपना समर्थन देती हैं । इसी से पता चलता है कि किस सीट पर कितनी पार्टी के समर्थकों ने जीत हासिल की है ।
इसी को देखते हुए अखिलेश यादव ने यूपी की कार्यकारणी को भंग कर दिया । समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने खुद इसकी जानकारी दी । उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी ने जनपद कुशीनगर के जिलाध्यक्ष को छोड़कर समाजवादी पार्टी की जिला कार्यकारिणी, विधान सभा अध्यक्षों सहित विधान सभा कार्यकारिणी तथा अन्य फ्रन्टल संगठन के जिलाध्यक्षों सहित जिला कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है । जानकार बताते हैं कि सपा ने ये फैसला पंचायत और विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिया है।
सपा पंचायत चुनाव के सीटों के आरक्षण पर पूरी तरह से नजर रखने की स्ट्रैटेजी बनाई है। पार्टी इस पर भी नजर रखेगी कि न सिर्फ आरक्षण का पालन हो, बल्कि इसमें किसी तरह का खेल भी न हो सके। इसके लिए सपा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है, ताकि वे अपने ग्राम, क्षेत्र और जिलास्तर पर अधिकारियों के सामने अपना पक्ष मजबूती से कर सकें। सपा नेतृत्व का कहना है कि अगर कहीं कोई गड़बड़ी होती हुई दिखी तो चुनाव आयोग से लेकर कोर्ट तक का विकल्प अपनाया जाएगा ।