बुधवार को पटना में मौका था महागठबंधन के विरोध प्रदर्शन का । राजद नेता तेजस्वी यादव सहयोगी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर उतरे थे । मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के विरोध में बुलाए गए बंद को सफल बनाने के लिए दिल्ली से राहुल गांधी और लेफ्ट के नेता डी राजा भी पहुंचे थे । विपक्ष की इस मुहिम को समर्थन देने के लिए पप्पू यादव भी मौजूद थे ।
इनकम टैक्स गोलंबर से चुनाव आयोग के कार्यालय तक राहुल-तेजस्वी के नेतृत्व में मार्च के लिए काफिला तैयार था । इसके लिए एक ट्रक का इंतजाम किया गया था जिसपर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के अलावा ज्यादातर सहयोगी दलों के बड़े नेता मौजूद थे । परन्तु इसी बीच एक ऐसी घटना घटना घटी जिसे देखकर वहां मौजूद लोग भी हैरान रह गए ।
हुआ ऐसा कि राहुल गांधी के साथ ट्रक पर सवार होने के लिए पप्पू यादव आगे बढ़े लेकिन सिक्योरिटी ने उन्हे रोक दिया और वापस नीचे भेज दिया । इस दौरान पप्पू यादव गिरते-गिरते भी बचे । ऐसा ही कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के साथ भी हुआ । उन्हे भी ट्रक पर नहीं चढ़ने दिया गया । आखिर में दोनों नेता नीचे उतर आए और पप्पू यादव कुछ देर बाद वहां से निकल लिए ।
देखते ही देखते वायरल हो गया वीडियो
जब यह घटनाक्रम चल रहा था तब कई कैमरे ऑन थे । किसी ने जैसे ही सोशल मीडिया पर इस घटना का बीडियो क्लिप जारी किया, देखते ही देखते वायरल होने लगा । इसके साथ चर्चा का बाजार भी गरम हो उठा । कई नेता तो चुटकी भी लेते नजर आए । खासकर पप्पू यादव के विरोधियों को मसाला मिल गया ।
हालांकि पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की ओर से इस घटना को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है । लेकिन पप्पू यादव के समर्थक उनके साथ किए गए इस सलूक से काफी काफी नाराज दिख रहे हैं ।
चर्चा का बाजार गर्म-किसके निर्देश पर हुआ खेला ?
पप्पू यादव और कन्हैया कुमार दोनों ही नेता राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं । लेकिन लालू यादव और तेजस्वी यादव को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं । पिछले लोकसभा चुनाव से पहले पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था । उसके बाद कांग्रेस ने उन्हें पूर्णिया से अपना उम्मीदवार घोषित करने की बात कही थी । लेकिन तेजस्वी यादव के घोर विरोध के बाद कांग्रेस ने पैर पीछे खींच लिए थे । तब पप्पू यादव निर्दलीय मैदान में उतरे और चुनाव जीता वो भी तब जब तेजस्वी यादव ने खुलकर उनका विरोध किया था ।
दरअसल पप्पू यादव की अपने क्षेत्र में रॉबिनहुड की छवि है । वह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं । पप्पू यादव भी उसी समाज से आते हैं जहां से तेजस्वी यादव आते हैं । उन्हे भी अपने क्षेत्र में यादव समाज का भरपूर समर्थन मिलता है । ऐसे में पहले लालू यादव और अब तेजस्वी नहीं चाहते कि पप्पू यादव को इतना स्पेस दिया जाए कि उनका कद बढ़े और यादव समाज उन्हे तेजस्वी के विकल्प के रुप में देखने लगे ।
कुछ-कुछ ऐसी ही स्थिति कन्हैया कुमार के साथ भी है । लालू और तेजस्वी उन्हे भी बिहार की राजनीति में घुसने देना नहीं चाहते । 2019 के लोकसभा चुनाव में जब एक लेफ्ट पार्टी की ओर से कन्हैया कुमार गिरिराज सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे तो लालू यादव ने खेला कर दिया । लेफ्ट पार्टियों के साथ तालमेल होने के बावजूद लालू यादव ने वोटकटवा उम्मीदवार खड़ा कर कन्हैया की हार को सुनिश्चित कर दिया ।
कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू यादव कन्हैया को भी तेजस्वी के लिए बड़ी चुनौती मानते हैं । वह कन्हैया की प्रतिभा से वाकिफ हैं और उन्हे इस बात का डर सताता रहता है कि यदि उन्हे बिहार की राजनीति में पैर जमाने का मौका मिल गया तो तेजस्वी के वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी कर सकते हैं ।
हालांकि पिछले कुछ समय से कन्हैया बिहार में काफी सक्रिय हैं और हाल ही में उन्होंने कहा था कि महागठबंधन की ओर से तेजस्वी ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे । लेकिन बताया जाता है कि तेजस्वी अब भी उन्हे नहीं पचा पा रहे हैं । ऐसे में मंगलवार को जब दोनों नेताओं को राहुल के साथ ट्रक पर सवार नहीं होने दिया गया, तो बहुत से लोग तेजस्वी की ओर शंका भरी निगाहों से देख रहे हैं ।