अमेरिका में ट्रंप प्रशासन का बजट संसद में पास न हो पाने के कारण सरकारी फंडिंग रुकी हुई है। इससे सरकार के 7.5 लाख कर्मचारी फरलो यानी छुट्टी पर भेज दिए गए हैं। छुट्टी पर भेजे गए कर्मचारियों में से करीब 3 लाख की छंटनी भी हो सकती है। इससे कई विभागों का कामकाज ठप हो गया है और गैर-जरूरी सेवाएं पूरी तरह बंद हैं। कृषि विभाग, श्रम विभाग, पर्यावरण संरक्षण एजेंसी, सुप्रीम कोर्ट और कई अन्य संस्थान इस शटडाउन के कारण बंद पड़े हैं।
सरकारी फंडिंग रुकने के कारण कई आर्थिक रिपोर्ट भी जारी नहीं हो पा रही हैं। खासकर मासिक रोजगार रिपोर्ट और बेरोजगारी लाभ पर साप्ताहिक रिपोर्ट देरी से जारी की जा रही हैं। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझना मुश्किल हो रहा है। आर्थिक आंकड़ों की इस कमी से नीति-निर्माता और निवेशक सही फैसले लेने में असमर्थ हो रहे हैं।
राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप
इस शटडाउन के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने डेमोक्रेट्स को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि डेमोक्रेट्स ने हेल्थकेयर सब्सिडी बढ़ाने की मांग करके सरकार को बंद करने पर मजबूर किया। वहीं, डेमोक्रेट नेता ट्रंप और रिपब्लिकन को दोषी मानते हैं क्योंकि वे सरकार के खर्च बढ़ने से डर रहे हैं और इसलिए बिल पास नहीं करवा रहे हैं। इस विवाद के कारण सरकार की महत्वपूर्ण सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
अगले दिन सीनेट में बजट बिल पर मतदान होना है, जिसमें 100 सदस्य होते हैं। इनमें से डेमोक्रेट्स का समर्थन आवश्यक है क्योंकि रिपब्लिकनों के पास बहुमत है लेकिन वे अकेले बिल पास नहीं करवा सकते। ट्रंप के कई फैसलों से दोनों दलों के बीच मतभेद बढ़ गए हैं, जिससे इस बिल को पास कराना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
स्थिति की गंभीरता और आगे की चुनौती
सरकारी शटडाउन से न केवल लाखों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है, बल्कि आम लोगों को भी सरकारी सेवाओं का भारी नुकसान हो रहा है। आर्थिक आंकड़ों में देरी से बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लंबी अवधि में नुकसान पहुंच सकता है। अब राष्ट्रपति और सांसदों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर जल्दी से जल्दी बजट बिल पास करें, ताकि सरकारी कामकाज फिर से सुचारू रूप से शुरू हो सके और देश की आर्थिक स्थिति सुधर सके।