तालिबान विदेश मंत्री की भारत यात्रा: क्या यह अफगानिस्तान के साथ नए रिश्तों की शुरुआत है?

Authored By: News Corridors Desk | 11 Oct 2025, 02:26 PM
news-banner

तालिबान शासित अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की भारत यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों में नया मोड़ ला दिया ... 2021 के बाद पहली बार तालिबान का कोई सीनियर लीडर भारत आया है... क्या यह नई शुरुआत है?... या डिप्लोमैटिक मास्टरस्ट्रोक?... इस वीडियो में हम पूरी डिटेल्स और फैक्ट्स आपके सामने लाएंगे। चलिए शुरू करते हैं...

आज हम बात करेंगे एक ऐसे डेवलपमेंट की जो भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों को नया शेप दे सकता है तालिबान विदेश मंत्री की हफ्ते भर की यात्रा और खासकर 10 अक्टूबर की मीटिंग ने कई नये आयाम जोड़े हैं। पहले थोड़ा बैकग्राउंड समझते हैं| ताकि पिक्चर क्लियर हो 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर फिर से कब्जा कर लिया था| इसके बाद भारत ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया| और वहां सिर्फ एक छोटी टेक्निकल टीम छोड़ी भारत ने तालिबान को अभी तक आधिकारिक मान्यता नहीं दी है| लेकिन अफगानिस्तान के लोगों के लिए भारत का सपोर्ट कभी कम नहीं हुआ| तालिबान के सत्ता में आने से पहले भारत वहां कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा था।

भारत ने अफगानिस्तान को अब तक 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा की सहायता दी है | इसमें स्कूल, हॉस्पिटल, सलमा डैम जैसे प्रोजेक्ट्स  शामिल हैं | लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपनी डिप्लोमैटिक स्ट्रैटेजी को बहुत सावधानी से हैंडल किया |

 9 अक्टूबर 2025 को शुरू हुई| मुत्तकी की एक हफ्ते की यात्रा 2021 के बाद किसी तालिबान लीडर की पहली भारत यात्रा है | संयुक्त राष्ट्र सिक्योरिटी काउंसिल ने मुत्तकी पर लगे ट्रैवल बैन को टेम्पररी लिफ्ट किया | जिससे यह दौरा मुमकिन हो सका| यह अपने आप में एक बड़ा डिप्लोमैटिक डेवलपमेंट है |

अब आते हैं इस यात्रा के सबसे अहम हिस्से पर...

तालिबान शासन वाले अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री की एक सप्ताह की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों में नया मोड़ साबित हो रही है | इस यात्रा के दौरान 10 अक्टूबर को उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक की| खास बात यह है कि इस बैठक में दोनों देशों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई| यही नहीं कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई....  इस यात्रा को भारत और अफगानिस्तान के संबंधों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है| इस दौरान भारत ने तालिबान में अपना दूतावास खोलने की बात कही|

कुल मिलाकर तालिबान विदेश मंत्री की यह यात्रा भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है| काबुल में दूतावास की वापसी सकारात्मक बातचीत और रीजनल कनेक्टिविटी पर फोकस से साफ है|कि भारत एक प्रैक्टिकल और प्रोग्रेसिव अप्रोच अपना रहा है|