न्यायपालिका में पारदर्शिता और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब सुप्रीम कोर्ट के सभी जज अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करेंगे। यह फैसला 1 अप्रैल को हुई फुल कोर्ट मीटिंग में लिया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना समेत सभी 30 जजों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा देने का निर्णय लिया।
स्वैच्छिक होगा संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करना
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर स्पष्ट किया गया है कि जजों के लिए अपनी संपत्ति की घोषणा करना पूरी तरह स्वैच्छिक होगा। इसका उद्देश्य न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाना और जनता का विश्वास बहाल करना है।
वरिष्ठ वकील आदिश अग्रवाल ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा,
"यह एक सकारात्मक कदम है, जिससे लोगों का भरोसा न्यायपालिका पर और मजबूत होगा। इससे पहले 1977 में भी इस पर चर्चा हुई थी, लेकिन तब इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका था। मुझे उम्मीद है कि हाई कोर्ट के जज भी इस पहल का अनुसरण करेंगे।"
जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर
इस फैसले की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ा एक विवाद चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है, लेकिन उन्हें वहां कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्पष्ट किया कि यह ट्रांसफर उनके खिलाफ चल रही जांच से अलग है। कॉलेजियम ने पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनके ट्रांसफर की सिफारिश कर दी थी।
जांच कमेटी और पुलिस अधिकारियों के बयान
जस्टिस वर्मा के मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है।
-दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा और कुछ अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बयान दर्ज किए गए।
-अरोड़ा ने आयोग को बताया कि स्टोर रूम एक गार्ड रूम के पास था, जहां CRPF के जवान तैनात रहते थे और इसे बंद रखा जाता था।
-15 मार्च को शाम 4:50 बजे पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को इस घटना की सूचना दी थी।
-जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने दिल्ली हाई कोर्ट के नाम से रजिस्टर्ड फोन नंबर से PCR कॉल की थी और बताया था कि जज के आवास पर आग लगी थी।