जयंती पर विशेष : जब पीएम मोदी ने सुनाया चंद्रशेखर जी के साथ पहली मुलाकात का रोचक किस्सा

Authored By: News Corridors Desk | 17 Apr 2025, 06:34 PM
news-banner

प्रखर समाजवादी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की आज जयंती है । इस मौके पर पूरा देश उन्हे याद कर रहा है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हे श्रद्धांजलि दी है । सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा - 

“पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने अपनी राजनीति में देशहित को हमेशा सर्वोपरि रखा। सामाजिक समरसता और राष्ट्र-निर्माण के उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा।”

yKDiq1F.jpeg

जब पीएम मोदी ने सुनाया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से पहली मुलाकात का किस्सा

पत्रकार अरविंद चतुर्वेदी ने अपनी मशहूर पुस्तक ' मोदी का बनारस ' में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से प्रधानमंत्री मोदी की पहली मुलाकात के किस्से का जिक्र किया है । 24 जुलाई 2019 को राज्यसभा के वर्तमान उपसभापति हरिवंश और रवि दत्त बाजपेयी द्वारा लिखी गई पुस्तक "चंद्रशेखर - वैचारिक राजनीति के अंतिम प्रतीक" के विमोचन के मौके पर इस किस्से को पीएम मोदी ने खुद सुनाया था । 

CdMsgy2.jpeg

अरविंद चतुर्वेदी ने ' मोदी का बनारस ' में इसका जिक्र करते हुए लिखा है , " नरेंद्र भाई ने बताया कि वह और पूर्व उपराष्ट्रपति कहीं जाने के लिए विमान का इंतजार कर रहे थे। तभी उनको जानकारी मिली कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर वहां आने वाले हैं। भैरों सिंह शेखावत ने तुरंत अपनी जेब में पड़ा सारा समान निकाल कर नरेंद्र मोदी के कुर्ते की जेब में रख दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया यह जल्द ही जाहिर हो गया। चंद्रशेखर ने आते ही भैरों सिंह जी के सभी जेबों की तलाशी ली। पता चला शेखावत पान मसाला खाने के शौकीन थे। पूर्व पीएम उन्हें हमेशा इसके लिए मना करते थे। मोदी ने कहा, कल्पना कीजिए, एक समाजवादी नेता होने के बावजूद जनसंघ के नेता की सेहत को लेकर वह कितने चिंतित थे।"

mpaDamp.jpeg

प्रधानमंत्री ने कहा था कि 1977 में हुई उस पहली मुलाकात के बाद चंद्रशेखर के साथ यह नजदीकी ताउम्र बनी रही । पुस्तक "चंद्रशेखर - वैचारिक राजनीति के अंतिम प्रतीक" के विमोचन के मौके पर नरेन्द्र मोदी ने चन्द्रशेखर जी के साथ अपनी अंतिम मुलाकात का भी जिक्र किया था । उन पलों को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि बीमार पूर्व प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन करके आमंत्रित किया था कि जब भी वे दिल्ली आएं तो वे उनसे मिलें । उस बातचीत के दौरान चन्द्रशेखर जी ने गुजरात के विकास के बारे में जानकारी ली थी और कई राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार साझा किए थे ।

एकला चलो की मिसाल 

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अपनी प्रखर राजनैतिक-सामाजिक चेतना और गहरी अंतर्दृष्टि के लिए जाने जाते थे । उन्होने विचारधारा की राजनीति की और जरूरत पड़ने पर धारा के विरूद्ध खड़ा होने में कभी नहीं हिचके । पीएम मोदी भी उनकी विचारों की स्पष्टता, जनता के प्रति प्रतिबद्धता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति समर्पण की सराहना कर चुके हैं । 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर उन्हे एक असाधारण संस्कृति और सिद्धांतों वाले व्यक्ति के रूप में वर्णित किया है, जिन्होंने अपने समय की प्रमुख राजनीतिक पार्टी का विरोध करने में संकोच नहीं किया, क्योंकि वे उसके कुछ पहलुओं से असहमत थे।

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और रवि दत्त बाजपेयी द्वारा लिखी गई पुस्तक "चंद्रशेखर - वैचारिक राजनीति के अंतिम प्रतीक" के विमोचन के मौके पर प्रधानमंत्री ने चंद्रशेखर जी द्वारा किसानों, गरीबों और वंचितों के लिए की गई ऐतिहासिक पदयात्रा को याद करते हुए कहा था कि, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम उन्हें उस समय वह सम्मान नहीं दे पाए जिसके वे हकदार थे।'