आजम खान जेल से बाहर आ चुके हैं और अपने तंज वाली भाषा में फिर सियासत शुरु कर दी है. आज़म ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अपने ही वतन में लोग डरे हुए हैं. आज़म ये कहना चाह रहे हैं कि मुसलमान यूपी मे डरा हुआ है क्या एक सोची समझी सियासी चाल है और ये चाल किसे ज्यादा फायदा पहुंचाएगी योगी आदित्यनाथ को या अखिलेश यादव को ? वैसे भी आज़म की हर बात के पीछे कई बातें छिपी होती है ऐसा हमेशा से माना जाता रहा है. वैसे भी उनके जैसे पढ़े लिखे और सभ्य मुस्लिम नेता सियासत में इक्के दुक्के ही होंगे. लेकिन अभी बात ये है कि इन लाइन्स का मतलब क्या है तो चलिए समझाते हैं और सियासत का खेल जो आज़म खान खेलने की शुरुआत कर चुके हैं उसे समझाते हैं..
आज़म खान बोले
मोहब्बतें बहुत कम रह गई हैं, रिश्ते बहुत उदास हो गए हैं.. दिल बहुत दुखी रहने लगे हैं.. लोकतंत्र में हर शख्स को मुस्कुराना चाहिए. लेकिन लोग खौफजदा हैं.. लोग डरे हुए हैं. अपने ही वतन में बेइज्जत महसूस कर रहे हैं.. कुछ ऐसा हो जाए कि चमन में बहारें फिर वापस आ जाएं. खुशियां फिर लौट आएं और परिंदे फिर चहचहाने लगे.
इस बयान का विश्लेषण करेंगे तो कई तर्क सामने आएंगे..
पहला तर्क
आज़म ने जेल से चिट्ठी में INDIA गठबंधन पर मुसलमानों की आवाज़ न उठाने का आरोप लगाया था तो क्या ये बयान इंडिया गठबंधन और अखिलेश को इशारा है
दूसरा तर्क
सँभल-बरेली जैसी हिंसा के बाद योगी आदित्यनाथ कहते हैं मौलाना को पता नहीं यूपी में किसकी सरकार है. क्या आज़म योगी आदित्यनाथ की सरकार पर हमला कर रहे हैं
तीसरा तर्क
मुसलमानों के डरने वाली बात कहकर क्या आज़म खान ध्रुवीकरण का पत्ता फेंक रहे हैं जिसका फायदा अखिलेश से ज्यादा बीजेपी को हो सकता है क्योंकि अगर मुस्लिम एक तरफ़ हुए तो हिंदू भी एक तरफ़ होंगे और 80-20 की लड़ाई में पलड़ा बीजेपी का ज्यादा भारी हो सकता है.
चौथा तर्क
आज़म खान एक मुस्लिम नेता हैं तो वो मुसलमानों के डर की बात कर अपने पुराने गढ़ को ऐसे भावनात्मक बयान से मज़बूत करने की कोशिश कर रहे हैं
तर्क और भी हैं लेकिन आज़म ने अपने एक छोटे से बयान से ये ज़रूर बता दिया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और प्रदेश की 143 मुस्लिम बहुत सीट पर वो इस बार मजबूती से खड़े नज़र आएंगे.