महाराष्ट्र में हाल ही में उठे हिंदी बनाम मराठी भाषा विवाद पर अभिनेता राजकुमार राव ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। ‘स्त्री’ और ‘श्रीकांत’ जैसी चर्चित फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले राजकुमार ने कहा कि हर अभिनेता का हर सामाजिक या राजनीतिक मुद्दे पर बोलना जरूरी नहीं है।
"सोशल मीडिया न होना संवेदनहीनता नहीं है"
एक इंटरव्यू में राजकुमार ने कहा:
“अगर कोई किसी मुद्दे पर सोशल मीडिया पर कुछ नहीं कहता, तो इसका ये मतलब नहीं कि वो व्यक्ति उस मुद्दे से बेवजह या असंवेदनशील है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सोशल मीडिया अब यह तय करेगा कि कौन इंसान संवेदनशील है और कौन नहीं?
“हर भावना को पोस्ट करना जरूरी नहीं”
राजकुमार राव ने एक निजी अनुभव साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि एक प्लेन क्रैश की तस्वीरें देखकर वे रो पड़े थे, लेकिन उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर साझा करना उचित नहीं समझा। उनका मानना है कि कुछ भावनाएं निजी होती हैं, और उन्हें सार्वजनिक करने से उनकी गहराई और संवेदनशीलता खत्म हो सकती है।
राजकुमार राव का मानना है कि कलाकारों को उन्हीं मुद्दों पर बोलना चाहिए, जिनसे उनका दिल जुड़ा हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रत्येक व्यक्ति की अभिव्यक्ति का तरीका अलग होता है, और ज़रूरी नहीं कि हर कोई सोशल मीडिया पर अपनी राय रखे।
विवाद की पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र में एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने हाल ही में सरकारी स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल किए जाने का विरोध किया था। इस पर राजनीतिक बहस तेज़ हो गई थी। बाद में, महाराष्ट्र सरकार ने आदेश वापस ले लिया।