अमेरिका में राहुल का हुआ हृदय परिवर्तन या कांग्रेस ने लॉन्च की नई चुनावी रणनीति ?

Authored By: News Corridors Desk | 05 May 2025, 09:26 PM
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक बयान इन दिनों काफी चर्चा में है जो उन्होने कुछ दिनों पहले अमेरिका के एक कार्यक्रम में दिया था । उनका वह बयान अब लोगों के सामने आया है । रिलीज के साथ ही यह क्लिप सोशल मीडिया में वायरल हो गया । 

अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 80 के दशक में कांग्रेस पार्टी से कुछ गलतियां हुईं । राहुल ने कहा कि हालांकि तब वो मौजूद नहीं थे परन्तु इसके बावजूद आज वो उन गलतियों की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं । 

इवेंट के दौरान राहुल गांधी से एक सिख छात्र ने 1984 के दंगों और सिखों के मुद्दों पर कुछ सवाल पूछे थे जिसके जवाब में उन्होने ये बातें कही । उस छात्र ने कांग्रेस पर सिखों की अनदेखी और 1984 के सिख विरोधी दंगों में दोषी पाए गए सज्जन कुमार जैसे नेता को बचाने की कोशिश का आरोप लगाया था । 

इसपर राहुल गांधी ने कहा, 'मैंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि 80 के दशक में जो हुआ वह गलत था । मैं कई बार स्वर्ण मंदिर गया हूं. भारत में सिख समुदाय के साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं ।'

क्या हैं राहुल के बयान के मायने ? 

 राजनीतिक हलकों में राहुल गांधी के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं । बीजेपी इसे विदेशों में भी कांग्रेस पार्टी की असलियत उजागर होने से जोड़ रही है । बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने वीडियो शेयर कर लिखा कि, राहुल गांधी को सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है । 

परन्तु राजनीति के कई जानकार इसे कांग्रेस और राहुल गांधी की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा मानते हैं । उनका मानना है कि देर से ही सही राहुग गांधी को इस बात का एहसास हो गया है कि उनकी चुनावी राजनीति काफी हद तक सहयोगी क्षेत्रीय दलों की बैशाखी पर टिकी हैं । पार्टी के पास अपना इतना जनाधार नहीं है जिससे वह बीजेपी को चुनौती दे सके । यही वजह है कि 2014 के बाद से सत्ता पाना तो दूर कांग्रेस कभी भी सत्ता के करीब भी नहीं पहुंच पाई है । 

ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस और राहुल गांधी को अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है । पार्टी को अब समझ में आ रहा है कि जबतक वो जनता के करीब नहीं पहुंचेगी तबतक सत्ता के भी करीब नहीं पहुंच पाएगी । 

बड़ा सवाल - क्या राहुल कांग्रेस के पुराने वोटर्स के वापस ला पाएंगे ? 

राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने 2014 के बाद से जितनी भी चुनावी रणनीतियां बनाई वो फेल हो गई । कई राज्यों में अकेले चुनाव में उतरे तो कई राज्यों में सहयोगियों के साथ ताल ठोंका । इस दौरान संविधान बचाने और आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की । इतना ही नहीं मंदिर-मंदिर घूम-घूम कर सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड भी खेलने की कोशिश की । परन्तु इनमें से कोई भी फॉर्मूला कारगर साबित नहीं हुआ । 

इस बीच कई मुद्दों पर कई क्षेत्रीय पार्टियों से भी सीधी चुनौती मिलती दिखी । ऐसे में कांग्रेस के थिंक टैंक को अपनी स्ट्रेटजी बदलने पर मजबूर होना पड़ रहा है । अब कांग्रेस की कोशिश उन सभी वोटर्स से सीधे संवाद कर वापस जोड़ने की है जो छिटक कर अन्य दलों के साथ चले गए । 

अमेरिका में दिया गया उनका बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है । पार्टी को उम्मीद है कि कांग्रेस राज की गलतियों को स्वीकार करने से राहुल गांधी की छवि बदलेगी । परन्तु बड़ा सवाल यही है कि क्या इतनी आसानी से पुराने वोटर्स वापस कांग्रेस के पास लौटेंगे ?