बिहार की राजनीति में एक बार फिर गर्मी आ गई है। इस बार मुद्दा है संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के "अपमान" का, जिसके आरोप में बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को नोटिस भेजा है। आयोग ने लालू यादव से 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है और पूछा है कि उनके खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत मुकदमा क्यों न दर्ज किया जाए।
क्या है पूरा मामला?
11 जून को लालू यादव ने अपना 78वां जन्मदिन मनाया। उसी से जुड़ा एक वीडियो 14 जून को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें लालू यादव कुर्सी पर बैठे दिखाई दे रहे हैं और उनके सामने दूसरी कुर्सी पर उनके पैर रखे हैं। इस बीच एक समर्थक अंबेडकर की तस्वीर लेकर आता है और लालू यादव के साथ फोटो खिंचवाने लगता है।
वीडियो में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अंबेडकर की तस्वीर उनके पैरों के पास रखी हुई है, जिससे यह मामला विवादित हो गया है। सोशल मीडिया पर वीडियो को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कई लोग इसे जानबूझकर किया गया अपमान बता रहे हैं।
अनुसूचित जाति आयोग ने भेजा नोटिस
बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने इस वीडियो का संज्ञान लेते हुए लालू यादव को नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है:
“आपने अपने जन्मदिन के अवसर पर बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर का अपमान किया है। यह अपमान सिर्फ किसी एक वर्ग का नहीं, बल्कि पूरे देश के संविधान और आत्मसम्मान का अपमान है। कृपया 15 दिनों के भीतर जवाब दें कि क्यों न आपके खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाए।”
हालांकि, आयोग के पत्र में कई व्याकरणिक और तथ्यों की अशुद्धियां पाई गई हैं, जिसकी अलग से आलोचना हो रही है।
बीजेपी और NDA ने साधा निशाना
भाजपा और एनडीए के अन्य दल इस मामले को लेकर हमलावर हो गए हैं। नेताओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो को साझा करते हुए लालू यादव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने जानबूझकर बाबा साहेब का अपमान किया। दलित सम्मान और अंबेडकर की विचारधारा के नाम पर विरोध प्रदर्शन की मांग भी की जा रही है।
मामले को बढ़ता देख आरजेडी नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा: “बीजेपी बड़का झूठा पार्टी है। उन्हें अंबेडकर या संविधान से कोई मतलब नहीं। लालू प्रसाद ने पूरे बिहार में बाबा साहेब की मूर्तियां लगवाई हैं। हम लोग अंबेडकर की विचारधारा को मानने वाले लोग हैं। बीजेपी बस मुद्दा भटकाने का काम करती है।” यह मामला आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है, खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक हों। अनुसूचित जातियों और दलित समुदाय के मतदाताओं के बीच इसका असर पड़ सकता है।