1991 के भारत-पाक समझौते के लेकर निशिकांत का राहुल पर जोरदार हमला, कांग्रेस ने भी किया पलटवार

Authored By: News Corridors Desk | 23 May 2025, 03:19 PM
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भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1991 में हुए सैन्य जानकारी साझा करने के समझौते को लेकर एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है ।  इस बार बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस समझौते को लेकर कांग्रेस कठघरे में खड़ा किया है ।

 उन्होने कांग्रेस पर सीधे-सीधे ‘देशद्रोह’ का आरोप लगा दिया है । निशिकांत दुबे ने कहा है कि 1991 में कांग्रेस समर्थित सरकार ने पाकिस्तान के साथ एक समझौता किया था जिसमें सेना की तैनाती, नौसेना और वायुसेना की गतिविधियों जैसी संवेदनशील सूचनाओं के आदान-प्रदान का प्रावधान था।
बता दें कि निशिकांत दुबे जिस वक्त की बात कर रहे हैं उस समय चंद्रषेखर प्रधानमंत्री थे और राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी । 

इतिहास का हवाला देते हुए निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सरकारों की विदेश नीति पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं । गोड्डा से बीजेपी के सांसद ने कहा कि , 'कांग्रेस सरकारें शुरू से ही पाकिस्तान को रियायतें देती आई हैं । चाहे वह 1950 का नेहरू-लियाकत समझौता हो, सिंधु जल संधि हो, या 1972 का शिमला समझौता । 78 वर्षों से हम कश्मीर पर संघर्ष कर रहे हैं, और आज भी पाकिस्तान कब्ज़े वाले कश्मीर पर बैठा है। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकारें समझौते करती रही हैं।'

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी साझा करने पर शुरू हुआ विवाद

 विवाद की शुरुआत तब हुई जब 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के एक बयान को मुद्दा बनाकर उन्हे घेरने की कोशिश की । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि पाकिस्तानी सेना को ऑपरेशन की सूचना दी गई थी । 

राहुल गांधी ने एस जयशंकर के बयान को हथियार बना कर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की । उन्होने सरकार से पूछा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' की सूचना पहले ही पाकिस्तान को क्यों दी गई ? इसके बाद बीजेपी ने पलटवार शुरू किया औऱ कांग्रेस सरकार के दौरान के पुराने दस्तावेज़ और समझौते पेश करना शुरू कर दिया । निशिकांत दुबे का हमला भी इसी की कड़ी है । 

कांग्रेस का पलटवार: “यह समझौता पीस टाइम का है”

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों को कांग्रेस ने यह कहते हुए खारिज किया है कि जिस समझौते की बात की जा रही है वह शांति काल का था । कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि, राजीव गांधी ने 6 मार्च 1991 को चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। 

उन्होंने कहा कि यह समझौता संभवतः अप्रैल 1991 का है, जिसे पीस टाइम में हस्ताक्षरित किया गया था । इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच पारदर्शिता बनाए रखना और गलतफहमी से बचना था। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में की गई जवाबी कार्रवाई अलग है और इसका 1991 के समझौते से कोई संबंध नहीं है ।