मुख्तार के बेटे अब्बास की सीट बीजेपी के लिए बनी सिरदर्द, राजभर की दावेदारी से फंसा पेंच

Authored By: News Corridors Desk | 25 Jun 2025, 07:27 PM
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उत्तर प्रदेश में मऊ सदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की सरगर्मी ने न केवल पूर्वांचल की सियासत को गर्म कर दिया है, बल्कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर भी खींचतान बढ़ा दी है । हाल ही में भड़काउ भाषण देने के एक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद अब्बास अंसारी की विधायकी रद्द हो गई है, लेकिन यह फैसला भाजपा के लिए राहत नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक चुनौती बनकर सामने आती दिख रही है । 

मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की विधायकी जाने से खाली हुई इस सीट पर अब बीजेपी के सहयोगी दल सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने अपना दावा ठोंक दिया है । गाजीपुर में मीडिया से बात करते हुए ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि, हमने 2017 और 2022 में मऊ सीट से चुनाव लड़ा है । अब 2027 में भी लड़ेंगे । ये कोर्ट का मामला है, लेकिन सीट हमारी है।

राजभर का यह बयान भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। अगर भाजपा सहयोगी दल ( सुभासपा ) को सीट सौंपती है, तो सवाल उठता है कि क्या वह अंसारी परिवार की दावेदारी को दरकिनार कर पाएगी ? क्योंकि ज़मीनी हकीकत यह है कि मऊ में अंसारी परिवार की मजबूत पकड़ अब भी कायम है, और समाजवादी पार्टी का उन्हें खुला समर्थन है।

राजभर की दावेदारी से सपा की भी उम्मीदें बढ़ी 

सूत्रों की मानें तो भाजपा इस सीट को लेकर दोराहे पर दिख रही है । उधर सपा की भी नजर इस सीट पर टिकी है । मऊ की यह सीट परंपरागत रूप से अंसारी परिवार का गढ़ मानी जाती रही है। समाजवादी पार्टी भी लगातार अंसारी परिवार के समर्थन में रही है। अगर बीजेपी और सुभासपा के बीच तालमेल नहीं बनता, तो सपा भी पूरे दमखम के साथ अपना उम्मीदवार उतार सकती है। ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।

अब्बास की सुनवाई टली, लेकिन चुनावी चर्चा तेज

इस बीच भड़काऊ भाषण मामले में अब्बास अंसारी की अर्जी पर सुनवाई एक बार फिर टल गई है। सरकारी वकील के अनुसार वादी मुकदमा एसआई बिंद कुमार की गैरहाजिरी के कारण सुनवाई अब 26 जून को होगी। अब्बास के वकील ने बताया कि आंशिक बहस हुई है और अगली तारीख तय कर दी गई है। मऊ में अब्बास की राजनीतिक विरासत को लेकर अटकलें तेज हैं। 

अब्बास अंसारी की सीट पर भाजपा की टेंशन सिर्फ एक विधानसभा उपचुनाव भर नहीं, बल्कि 2027 के लिए भी समीकरण तय करने वाली हो सकती है। बहरहाल आनेवाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि भाजपा राजभर की मांग को मानती है, या अंसारी परिवार की सियासी विरासत को खुद चुनौती देने का फैसला करती है ।