मोहन भागवत का सतना में संदेश: एक भारत, एक परिवारराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मध्य प्रदेश के सतना में अखंड भारत का सपना दोहराया। उन्होंने लोगों से अपनी संस्कृति और परंपराओं को अपनाने की अपील की। सतना के सिंधी कैंप में मेहरशाह दरबार के नए भवन के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने आसान और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात रखी।
पाकिस्तान है हमारा कमरा: हर भाषा है खास
मोहन भागवत ने पाकिस्तान को भारत के घर का एक कमरा बताया। उन्होंने कहा, "किसी ने हमारे घर का एक कमरा छीन लिया, जहां हमारी चीजें थीं। हमें उसे वापस लेना है।" उन्होंने सिंधी समुदाय को याद दिलाया कि वे अविभाजित भारत का हिस्सा थे। यह बात नई पीढ़ी को बतानी जरूरी है, क्योंकि पूरा भारत एक परिवार है।
भागवत ने कहा कि भारत की हर भाषा राष्ट्रभाषा है। हमें तीन भाषाएं सीखनी चाहिए: अपनी मातृभाषा, दूसरों से बात करने की भाषा और उस जगह की भाषा जहां हम रहते हैं। उन्होंने घर में मातृभाषा बोलने की सलाह दी, ताकि हमारी संस्कृति बनी रहे।
अपनी परंपराएं न भूलें, हम सब हिंदू, हम सब एक
उन्होंने लोगों से अपनी परंपराएं अपनाने को कहा। हमें अपने पारंपरिक कपड़े और जीवनशैली को याद रखना चाहिए। अगर हर दिन न हो सके, तो त्योहारों पर पारंपरिक कपड़े जरूर पहनें। इससे हमारी संस्कृति मजबूत होगी।
भागवत ने हिंदू एकता की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि विदेशों में हमें हिंदू कहते हैं, और हमें इस पर गर्व करना चाहिए। हम सब सनातनी और हिंदू हैं। हमें एकजुट होकर अपनी पहचान को मजबूत करना है।
अंग्रेजों ने तोड़ा, हम जोड़ेंगे
उन्होंने भारत के बंटवारे के लिए अंग्रेजों को जिम्मेदार बताया। भागवत ने कहा कि अंग्रेजों ने हमें भौतिकता का टूटा दर्पण दिखाया, जिससे हम अलग-अलग लगने लगे। अब हमें आध्यात्मिकता अपनाकर एकता का नया दर्पण बनाना है।
गुरुओं का मार्गदर्शन
भागवत ने कहा कि हमें अहंकार छोड़कर गुरुओं की बात माननी चाहिए। गुरु हमें सही रास्ता दिखाते हैं और एकता की राह पर ले जाते हैं। उनकी सलाह से हम मजबूत होंगे।