मायावती के नीले समंदर की गहराई देखी क्या ?

Authored By: News Corridors Desk | 10 Oct 2025, 04:10 PM
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नीला समंदर जिसकी गहराई का अंदाजा कोई लगा नहीं पाया क्या मायावती की आज की रैली में लखनऊ वैसा ही नीला समंदर बन गया. क्या नीले झंडे और बैनरों से पटा लखनऊ यूपी की सियासत को गहरे सियासी राजों से भर गया। सवाल इसलिए क्योंकि जब मायावती 9 साल बाद 5 लाख से ज्यादा लोगों के बीच आईं और दहाड़ीं कि समाजवादी पार्टी दोगली, कांग्रेस दलित विरोध और योगी ने दलित स्मारकों का ध्यान दिया तो संदेश खोजने वाले इसमें हर तरह के संदेश खोजने लगे. लेकिन मायावती को न बीजेपी की बी टीम बनने का डर और न अपने वोटबैंक को साधने के लिए पुराने सहयोगी अखिलेश की पार्टी को दोगला बोलने की फ़िक्र. 

योगी की तारीफ़ से क्या संदेश

योगी सरकार ने टिकट का पैसा स्मारक की मरम्मत में लगाया समाजवादी पार्टी की तरह दबाया नहीं. संदेश साफ़ है अंबेडकरवादी ( दलित ) को अगर वोट बांटना ही है तो वो अखिलेश की ओर न जाकर बीजेपी की ओर जाए. क्या ये संदेश बीजेपी के लिए राहत की साँस नहीं है । क्या 2027 के चुनाव के लिए ये एक संदेश नहीं है कि बीजेपी के साथ मिलकर चलेंगे। हालांकि मायावती ने साथ में ये भी ऐलान किया कि चुनाव वो अकेले लड़ेंगी किसी के साथ नहीं तो क्या ये महज़ एक इत्तफ़ाक़ था या सोचा समझा सियासी संदेश । समय ये भी जल्द तय कर देगा ?

राजभर-निषाद-स्वामी प्रसाद मौर्य एक साथ लाने का प्लान

बीजेपी अपने सहयोगियों से लगातार घिरती जा रही है उनकी डिमांड भी बढ़ती ही जा रही है. अगर मायावती बीजेपी के साथ आती हैं तो ओम प्रकाश राजभर, संजय निषाद, और स्वामी प्रसाद मौर्या जैसे अलग अलग नेताओं की ज़रूरत ही नहीं बचेगी शायद और मायावती का अकेला साथ बीजेपी को 2027 के ताज तक पहुंचा देगा.

अखिलेश-राहुल से दूर दिखीं मायावती

मायावती ने अपने वोटर्स को रैली से एक संदेश तो दे दिया कि कांग्रेस और समाजवादी पार्ठी पर भरोसा मत करना वरना पछताना पड़ेगा तो क्या ये संदेश 2027 के लिए भी है कि मायावती इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगी चाहें जो हो जाए। अखिलेश के PDA का फॉर्मूला फ्लॉप करने की रणनीति नहीं है क्योंकि अखिलेश के PDA से सबसे ज्यादा नुक़सान किसी को हुआ तो वो NDA ही थी. 2024 में उसकी घटी सीटें ये बताने के लिए काफी है

मायावती एक्टिव हुई या की गईं ?
मायावती के 9 साल बाद अचानक एक्टिव होने के पीछे क्या कोई ख़ास कारण है वो ख़ुद फिर से एक्टिव होना चाहती हैं या कहीं से संदेश गया है कि इंडिया गठबंधन को झुकाने के लिए अब एक्टिव होना पड़ेगा। सवाल कई हैं जिनके जवाब समय के साथ ही मिलेंगे लेकिन एक बात तो है लखनऊ में नीला समंदर का ज्वार कई सियासी रणनीतियों का बड़ा वार तो ज़रूर साबित हुआ है