लश्कर से संबंध, विदेशी फंड और ISIS स्टाइल में ऑपरेशन...आगरा धर्मांतरण गिरोह पर चौंकाने वाला खुलासा

Authored By: News Corridors Desk | 20 Jul 2025, 02:44 PM
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क्या उत्तर प्रदेश के आगरा में ऑपरेट कर रहे धर्मांतरण गिरोह का सीधा संबध पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से है ? जांच एजेंसियों को अबतक जो इनपुट मिले हैं उसमें इस बात के पुख्ता सबूत मिलने की बात कही जा रही है। इस गिरोह को लश्कर से फंडिंग की बात भी सामने आई है जो कई देशों के माध्यम से भारत में भेजी जाती थी । जांच एजेंसियों को इस धर्मांतरण रेकेट के बारे में इस तरह के कई और चौंकाने वाली जानकारियां मिली है । 

जो खबर सामने आई है उसके मुताबिक लश्कर के नेटवर्क के जरिए यूएई, कनाडा, लंदन और अमेरिका जैसे देशों से पैसा भारत में भेजा जाता था। इसके बाद पैसे को अवैध धर्मांतरण कराने वाले नेटवर्क में डायवर्ट किया जाता था । विदेशों से भेजे गए पैसों का इस्तेमाल भारत में लव जिहाद, ब्रेनवॉश, और धर्मांतरण जैसे अभियानों में किया जा रहा था । पूरा ऑपरेशन आतंकी संगठन आईएसआईएस के पैटर्न पर किया जा रहा था। 

विदेशों से पहले गोवा और फिर गिरोहों तक पहुंचता था पैसा

जांच एजेंसियों ने धर्मांतरण रैकेट से जुड़े 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और दो सगी बहनों को कोलकाता से मुक्त कराया है ।  इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद से नए-नए खुलासे हो रहे हैं । इन्ही किरदारों में से एक है गोवा की रहनेवाली आयशा उर्फ एसबी कृष्णा जो धर्मांतरण गिरोह के फंड का प्रबंधन करती थी।

जांच में सामने आया है कि आयशा के खातों में कनाडा में मौजूद सैयद दाउद अहमद पैसा ट्रांसफर करता था, जिसे देशभर में गिरोह के सदस्यों तक पहुंचाया जाता था। आयशा का पति शेखर राय उर्फ हसन अली कोलकाता में बैठकर गिरोह को कानूनी सहायता उपलब्ध कराता था। वह धर्मांतरण से जुड़े फर्जी दस्तावेज भी तैयार कराता था ।  उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

नाबालिगों को ट्रैप करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल

आगरा का रहने वाले अब्दुल रहमान कुरैशी सोशल मीडिया और यूट्यूब के जरिए नाबालिग लड़कियों को ब्रेनवॉश करता था। वह उन्हें इस्लामिक शिक्षा के नाम पर कट्टर विचारधारा से जोड़ता था । इसके बाद उसे जिहाद के लिए तैयार किया जाता था ।

 अब्दुल रहमान कुरैशी के साथ ओसामा और मुस्तफा नाम का दो शख्स लड़कियों को ट्रैप कर पहले उनके घरवालों से दूर करते और उसके बाद मानसिक रूप से तोड़ने के लिए ब्लैकमेलिंग और टॉर्चर तक करते थे । दिल्ली में पकड़ा गया मुस्तफा उर्फ मनोज गिरोह के लिए फर्जी नामों पर सिम कार्ड और पहचान पत्र तैयार करवाता था, जिससे लड़कियों की ट्रैकिंग न हो सके।

ब्रेनवॉश की गई लड़कियों को पहले दिल्ली लाया जाता था और यहां से उन्हे बसों के जरिए अलग-अलग जगहों पर भेजा जाता था । ये लोग ट्रेनों से सफर नहीं करते थे क्योंकि उसमें पहचान और लोकेशन ट्रेस होने का डर बना रहता था । 

ISIS के स्टाइल में काम कर रहा था गिरोह

जांच में यह भी सामने आया है कि धर्मांतरण का यह नेटवर्क आईएसआईएस जैसे कुख्यात आतंकी संगठन को फॉलो करता था । उसी के पैटर्न पर पहले धर्मांतरण और उसके बाद जेहाद के लोगों को तैयार किया जाता था । इसमें डिजिटल ब्रेनवॉश, फंडिंग, कानूनी सुरक्षा कवच जैसे कई लेयर्स शामिल थे । एजेंसियों को अंदेशा है कि देश के कई और हिस्सों में यह नेटवर्क ऑपरेट कर रहा है । 

जांच एजेंसियों ने कैसे किया डिकोड ? 

आगरा के साथ-साथ देश के कई शहरों में ऑपरेट कर रहे अवैध धर्मांतरण गैंग तक पहुंचने में आगरा पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी । जब आगरा की 33 और 18 साल की दो बहनों के गायब होने की शिकायत दर्ज कराई गई तब पुलिस के कान खड़े हो गए । पुलिस ने घटनाक्रमों को जोड़ना शुरू किया तो इसके तार अवैध धर्मांतरण कराने वाले संगठित गिरोह से जुड़ते नजर आए ।

पुलिस ने दोनों बहनों के सोशल मीडिया अकाउंट खासतौर से इंस्टा आईडी को खंगालना शुरू किया तो उनके आगरा के बाद दिल्ली, पटना और कोलकाता जाने की बात सामने आई। लेकिन दोनों ही बहनों के पास पुराने मोबाइल फोन और नंबर नहीं थे । ऐसे में पुलिस को आगे का क्लू मिला तीसरी बहन से । उसने कुछ इंस्टा आईडी के बारे में बताया जो उन दोनों बहनों के अकाउंट में अक्सर खुली रहती थीं ।

 पुलिस ने उन इंस्टा आईडी के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया । आखिरकार उनका आईपी एड्रेस मिला जो कोलकाता के ही आसपास था। अब पुलिस की नजर दोनों बहनों के सभी यूपीआई ट्रांजैक्शन और फाइनेंशल ट्रेल पर थी । यहां से भी अहम सुराग मिले । इसके बाद एक महिला पुलिसकर्मी ने इंस्टा आईडी के जरिए गैंग में पैठ बनाई और उसके बाद पुलिस ने दस लोगों को धर दबोचा ।