राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में लालू यादव को फौरी तौर पर कोई राहत नहीं दी है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया है।
कोर्टन ने 6 हफ्तों में मांगा जवाब
हालांकि, अदालत ने लालू यादव की मुख्य याचिका पर नोटिस जारी करते हुए संबंधित पक्षों से छह हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 12 अगस्त 2025 को होगी। यह आदेश दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस रविंदर दुदेजा की सिंगल बेंच ने जारी किया।
दरअसल लालू यादव ने अपनी याचिका में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर और दायर चार्जशीट को रद्द करने की मांग की थी। साथ ही, उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को भी चुनौती दी थी।
कपिल सिब्बल ने दी दलील
लालू यादव की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि सीबीआई ने बिना आवश्यक वैधानिक मंजूरी के जांच शुरू कर दी, जो कानून और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। उनका कहना था कि इस विशेष मामले में मंजूरी नहीं ली गई थी, इसलिए एफआईआर और चार्जशीट को रद्द किया जाना चाहिए।
बता दें यह मामला उस वक्त का है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे। सीबीआई का आरोप है कि रेल मंत्रालय में ग्रुप-डी की भर्तियों के बदले कई उम्मीदवारों से उनके परिवार के नाम जमीनें बेहद कम दामों पर ट्रांसफर करवाई गईं। जांच एजेंसी का कहना है कि यह भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग का गंभीर मामला है।
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का मतलब यह है कि सीबीआई अपनी जांच जारी रख सकती है और ट्रायल कोर्ट में मामले की सुनवाई भी आगे बढ़ेगी। लालू यादव को अभी कोर्ट से कोई अंतरिम राहत नहीं मिली है, और उनकी अगली उम्मीद 12 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी है।