रविवार को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब केदारनाथ से लौट रहा एक हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के जंगलों में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में सात लोगों की मौत हो गई, जिनमें सभी श्रद्धालु थे। हेलीकॉप्टर क्रैश की वजह खराब मौसम और दृश्यता (विजिबिलिटी) बताई जा रही है।
आर्यन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू
इस हादसे के बाद राज्य सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान करने वाली आर्यन एविएशन कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का उल्लंघन करते हुए खराब मौसम में उड़ान भरी, जिसके चलते यह दुर्घटना हुई।
एफआईआर के अनुसार, हेलीकॉप्टर का संचालन सुबह 6 से 7 बजे के स्लॉट में होना था, लेकिन यह उड़ान सुबह 5:30 बजे ही रवाना हो गई। साथ ही आसमान में घना कोहरा और बादल छाए होने के बावजूद उड़ान भरना सुरक्षा मानकों का स्पष्ट उल्लंघन था।
पुलिस द्वारा दर्ज केस में आर्यन कंपनी के मैनेजर विकास तोमर और एकाउंटेबल मैनेजर कौशिक पाठक को सीधे तौर पर हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। आरोप है कि दोनों को मौसम की खराब स्थिति की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने हेलीकॉप्टर उड़ान भरने की अनुमति दी।
मुख्यमंत्री ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश
हादसे के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं की निगरानी और सुरक्षा को और अधिक मजबूत किया जाएगा।
यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और हेलीकॉप्टर संचालन में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार ने ‘कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर’ स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह सेंटर सभी उड़ानों पर निगरानी रखेगा और मौसम संबंधित चेतावनियों के आधार पर उड़ानों को अनुमति देगा। इससे न केवल दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी बल्कि आपात स्थिति में त्वरित राहत भी संभव होगी।
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (युकाडा) की सीईओ सोनिका ने बताया कि आर्यन कंपनी प्रत्येक मृतक के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देगी। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से भी सहायता प्रदान करने की योजना पर विचार किया जा रहा है।