9 अक्टूबर की रैली मायावती की वापसी करवा पाएगी या बहन जी को आने दो…केवल नारा ही रह जाएगा

Authored By: News Corridors Desk | 04 Oct 2025, 08:31 PM
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चढ़ गुंडों की छाती पर मोहर लगेगी हाथी पर इस एक नारे ने मायावती को पूर्ण बहुमत दिलाया और उत्तर प्रदेश पर 5 साल तक राज करने का मौका दिया लेकिन उसके बाद मायावती सत्ता के गलियारों से इतना दूर हो गईं कि उनकी चर्चा तक बंद हो गई…लेकिन अब एक बार फिर बहन जी के लौटने का माहौल बनना शुरु हो चुका है. बीएसपी की सोशल मीडिया टीम ने इस बार मायावती के कमबैक को एक अलग ही अंदाज़ दे दिया है. मायावती ने मुलायम सिंह यादव को सत्ता से उखाड़ा पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े करके. और सत्ता मेंआने के बाद उसे लागू भी किया. अब वही सियासी पैंतरा उन्होंने योगी सरकार के ख़िलाफ़ भी अपनाया है. बीएसपी ने जो 9 अक्टूबर की रैली से पहले जो सोशल मीडिया कैंपेन चलाया उसमें गुंडों से परेशान लोगों के दर्द को दिखाने की कोशिश की गई है और उसके अंत में एक ही लाइन आती है बस कुछ दिन का और इंतज़ार और बहन जी को आने दो…

तो क्या बहन जी यानि मायावती 2027 में कमबैक कर पाएंगी. क्या सोशल मीडिया कैंपेन के ज़रिए जो माहौल बनाया जा रहा है वो सच हो पाएगा…मायावती की रैली से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में क्यों खलबली मची हुई है. तो क्या है उस खलबली की वजह वो जानेंगे लेकिन पहले जान लेते हैं कि मायावती के शासन को क्यों लोग अच्छा मानते थे और आज भी लोग क्यों कहते हैं कि मायावती के दौरे का नाम सुनकर बड़े बड़े अधिकारी थर थर कांपते थे…

राजा भैया का नाम यूपी में कौन नहीं जानता 2002 में उनके ऊपर एक्शन लेकर मायावती ने अपनी कड़क इमेज बनाई कि वो किसी दबंग को नहीं छोड़ेंगे, 2007 में दोबारा वापसी पर उन्होंने फिर राजा भैया पर एक्शन लिया, अतीक के ठिकाने पर बुलडोज़र चलवाया. उमाकांत यादव जो फ़रार चल रहे थे उन्हें मुख्यमंत्री आवास बुलाकर गिरफ़्तार करवाया. अपने एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों और नेताओं पर कड़ा एक्शन लिया. कितने अधिकारियों को सस्पेंड किया और न जाने कितनों को हाशिये पर भेज दिया. इन एक्शन की वजह से मायावती की इमेज भारतीय राजनीति में इतनी सख्त नेता की बनी कि उनसे अधिकारी और अपराधी ख़ौफ़ खाने लगे थे लेकिन इसके बाद मायावती ने ऐसी ही लोगों को जीत के लिए साथ भी जोड़ा जिससे उस इमेज को धक्का भी लगा, चाहें वो गाज़ीपुर से मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी को टिकट देना हो अतीक अहमद की पत्नी को बीएसपी में शामिल करना इन सबसे उनकी इमेज को धक्का लगा और उसका नुक़सान भी हुआ कि सत्ता से इतनी दूर हो चुकी हैं कि वापसी की संभवनाएं न के बरारबर दिखती हैं हालांकि यूपी के अंबेडकरवादी लोगों के बीच उनसे बड़ा चेहरा कोई नहीं है तो अगर मायावती इनको ही अपने साथ ले आती हैं तो समीकरण तो पलट जाएंगे. अब इसके लिए कितना इंजजार करना पड़ेगा ये तो वोटर ही जानें जो मायावती को चुनेंगे या नहीं.  और अगर चुन लेते हैं तो अखिलेश-राहुल के संविधान बचाओ प्लान की हवा निकल जाएगी. अब देखना दिलचस्प होगा कि माायावती योगी की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उटाकर वापसी कर पाती हैं या नहीं.