बिहार में कैसे टूट गया इंडिया महागठबंधन ? जानिए पूरी स्टोरी!

Authored By: News Corridors Desk | 19 Oct 2025, 01:30 PM
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झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन से अलग होकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। पार्टी ने पहले चरण में छह सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है और संकेत दिया है कि यह संख्या 10 तक बढ़ सकती है। झामुमो ने यह कदम आत्मसम्मान और लगातार हुए "राजनीतिक धोखे" के चलते उठाया है।

झामुमो का बड़ा फैसला: बिना उसके न सरकार बनेगी, न समर्थन मिलेगा

पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि झामुमो अब ऐसी रणनीति बनाएगा जिससे बिहार में उसके बिना कोई सरकार न बन सके। उन्होंने कहा कि 2019 और 2024 के चुनावों में झामुमो ने राजद को झारखंड में सम्मानजनक सीटें देने के साथ-साथ एकमात्र विजयी उम्मीदवार को मंत्री पद तक दिया, बावजूद इसके पार्टी को उपेक्षा और धोखे का सामना करना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब पार्टी आत्मसम्मान को प्राथमिकता देते हुए स्वतंत्र चुनाव लड़ेगी।

विधानसभा सीटों पर लड़ाई, रणनीति आगे और विस्तृत हो सकती है

झामुमो ने जिन छह सीटों पर फिलहाल लड़ने की घोषणा की है, उनमें सकरी, धमदाहा, कटोरिया (सुरक्षित), मनिहारी (सुरक्षित), जमुई और पीरपैंती शामिल हैं। ये सभी सीटें दूसरे चरण के तहत आती हैं। पार्टी का मानना है कि जमीनी स्तर पर समर्थन को देखते हुए यह दायरा और बढ़ाया जा सकता है। झामुमो जल्द ही अपने स्टार प्रचारकों की सूची और चुनावी अभियान की रूपरेखा जारी करेगा, जिसमें कल्पना सोरेन प्रमुख चेहरा होंगी।

महागठबंधन में बढ़ती खींचतान, ‘फ्रेंडली फाइट’ का दौर शुरू

दूसरी ओर, महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर गहमागहमी बरकरार है। नामांकन की आखिरी तारीख गुजरने के बावजूद कई सीटों पर घटक दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं। इसे 'फ्रेंडली फाइट' कहा जा रहा है, जो महागठबंधन की अंदरूनी कमजोरी को उजागर करता है। खास मामला औरंगाबाद की कुटुम्बा सीट का है, जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने राजद उम्मीदवार के खिलाफ ताल ठोकी है। राम ने इसे दलित नेताओं के साथ भेदभाव बताया और चुनाव लड़ने की प्रतिबद्धता जताई है।