जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई को लेकर बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के तमाम शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।
रक्षा मंत्री, एनएसए और सेना प्रमुखों की मौजूदगी
इस अहम बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख – थलसेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी – मौजूद रहे। इस बैठक का उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की समीक्षा और आगे की रणनीति तय करना था।
हमले की परिस्थितियों और सुरक्षा स्थिति पर गहन मंथन
बैठक में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की परिस्थितियों, आतंकियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशनों और अमरनाथ यात्रा जैसे संवेदनशील आयोजनों की सुरक्षा पर विशेष चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने सुरक्षाबलों को आतंकियों के खिलाफ कड़ी और निर्णायक कार्रवाई के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि आगामी अमरनाथ यात्रा और अन्य नागरिक गतिविधियों की सुरक्षा में कोई चूक न हो। इसके लिए स्थानीय और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की बात कही गई।
पुलिस और सेना के संयुक्त दस्तों ने घाटी में कॉम्बिंग ऑपरेशन तेज कर दिए हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन शामिल हैं। सरकार ने इस हमले को सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का परिणाम बताया है।
पाकिस्तान पर पाबंदियां और सिंधु जल संधि स्थगित
पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। सबसे बड़ा और ऐतिहासिक कदम था सिंधु जल संधि को स्थगित करना। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने इस संधि को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का फैसला किया है। यह पहली बार है जब भारत ने इस संधि पर रोक लगाई है।
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय तब तक प्रभावी रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता। यह भारत की ओर से पाकिस्तान को एक स्पष्ट और कड़ा संदेश है कि आतंकवाद को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।