पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं । इसी कड़ी में अब बगलिहार बांध से चिनाब नदी के पानी को भी रोक दिया गया है । इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो झेलम नदी पर बने किशनगंगा डैम के जरिए भी पानी को नियंत्रित करने की योजना पर काम चल रहा है ।
भारत अपने बांधों के जरिए इन नदियों में पानी के बहाव को नियंत्रित कर सकता है । यानि पाकिस्तान पहुंचने वाले पानी के प्रवाह को कम या अधिक किया जा सकता है । बिना किसी पूर्व सूचना के ऐसा करने से पाकिस्तान के कई इलाकों में जल संकट या जलभराव के हालात पैदा हो सकते हैं ।
बता दें कि 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 में हुए सिंन्धु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया है । गौरतलब है कि पाकिस्तान के साथ 1965, 1971 और 1999 में हुए जंग के दौरान भी सिंधु जल समझौते को भारत ने जारी रखा था । परन्तु इस बार मोदी सरकार ने बेहद सख्त फैसला लिया है ।
पाकिस्तान के लिए लाइफलाइन की तरह हैं सिन्धु नदी
सिन्धु नदी प्रणाली पाकिस्तान के लोगों के लिए लाइफ लाइन है । वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी को लेकर समझौता हुआ था । इसके तहत पाकिस्तान को सिंधु सिस्टम की पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब और झेलम) पर अधिक कंट्रोल दिया गया है ।
पाकिस्तान सिंधु नदी प्रणाली के करीब 93 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल करता है । इससे मुख्य रुप से सिंचाई और बिजली उत्पादन का काम होता है । लोगों को पीने का पानी मुहैया कराने और उद्योगों के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है । लाखों लोगों का रोजगार भी इससे जुड़ा हुआ है ।
यह समझौता पाकिस्तान के लिए कितना अहम है इस बात का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि वहां करीब 80 प्रतिशत कृषि भूमि इसके पानी पर ही निर्भर करती है । इस पानी को यदि रोक दिया जाता है या पानी के बहाव को नियंत्रित कर कम कर दिया जाता है तो पाकिस्तान में हाहाकार मचना तय है ।
यही वजह है कि पाकिस्तान भारत को पानी रोकने पर युद्ध की धमकी दे रहा है ।