सीने में दहाड़ लिये जो, सिंह बन कर आया है,
पाक की नापाक ज़मीं पर तिरंगा फहराया है।
पुलवामा की पीड़ा का प्रतिशोध जब माँगा था,
"सिंदूर ऑपरेशन" बनकर वो रौद्र रूप लाया था।
चुप नहीं बैठा भारत अब, गोली का जवाब दिया,
चिर के सीमा पार गया, आतंकी को साफ किया।
धरती माँ के बेटों का जो लहू बहाया करता,
अब उनके ठिकानों पे भी जलजला आया करता।
तू क्या समझा भारत को, चुपचाप सहेगा ग़म,
अब हर शहीद के राखी का बदला लेंगे दम।
हिंद की सेना सर्जिकल से अब आगे बढ़ती जाती,
शब्द नहीं, अब शस्त्रों से ही गाथा लिखी जाती।
मोदी की सोच है सीधी "आतंक नहीं सहना है",
शांति चाहो तो भारत को सिरमौर रहना है।
बात नहीं अब करतूतों पे, कर्म ही पैगाम है,
"घर में घुसकर मारेंगे", ये भारत का गान है।
बेटियों की माँग सजाने को, जब जब वीर मरे हैं,
सिंदूर की एक एक बूँद पे सौ सौ रण धरे हैं।
ये सिंदूर हमारा साज है, ये बलिदान ज्योति है,
लाल टीका गवाही दे, शूरवीरों का मोती है।
अब जो आँख उठाएगा वो, राख बना दिया जाएगा,
कश्मीर से कराची तक अब डर का परचम लहराएगा।
तू भूल गया '71 को, या कारगिल का रन?
अब मत कर भूल दुश्मन, यह नया भारत जन।
घर में घुसकर मारा है, कब्र तुम्हारी खोदी है,
भारत की गद्दी पर बैठा, प्रधान हमारा मोदी है।
