दिल्ली। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धन त्रयोदशी यानि धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष शनिवार 18 अक्टूबर को यह पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपनी नई वस्तुओं की खरीदारी करते हैं और मां लक्ष्मी, गणेश तथा कुबेरादि का पूजन कर उन्हें समर्पित करते हुए पूरे वर्ष घर में धन-धान्य बने रहने की कामना करते हैं।
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दिन में 1:20 बजे
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दिन में 1:20 बजे लग रही है जो 19 अक्टूबर को दिन में 1:25 बजे तक रहेगी। इस बार धन त्रयोदशी तिथि में शनि प्रदोष (पुत्र प्राप्ति के लिए) का अनूठा संयोग बन रहा है।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त स्थिर लग्न वृषभ में शाम 7:18 बजे से रात 9:14 बजे तक विशेष होगा। दोपहर 1:21 बजे त्रयोदशी तिथि लगने के बाद कभी भी खरीदारी की जा सकता है।
यह पर्व विशेष ही धनागमन व पूजन के लिए है। पर्व के दिन खरीद के लिए पूरा दिन शुभ मुहूर्त होता है। इसलिए धनतेरस पर कभी भी मां लक्ष्मी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए खरीद कर सकते हैं। वैसे तो पर्व विशेष ही अपने आप में शुभ मुहूर्त व लग्न होता है, इसलिए खरीद के लिए अलग से मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं फिर भी खरीदा गया धन दीर्घकाल तक स्थिर बना रहे, इसके लिए स्थिर लग्न को प्राथमिकता देने का विधान है।
धनतेरस के दिन सुबह 8:32 बजे से 10:49 बजे तक वृश्चिक लग्न, दोपहर 2:42 बजे से 4:13 बजे तक कुंभ लग्न, शाम 7:18 बजे से 9:14 बजे तक वृष लग्न है। यह सभी स्थिर लग्न हैं। स्वर्णाभूषणों, गृह संपत्ति की खरीद, विवाह, गृह प्रवेश इत्यादि के लिए स्थिर लग्न महत्वपूर्ण होते हैं।
कब खरीद होगी शुभ
दोपहर 1:21 के बाद खरीद करना शुभ रहेगा। 18 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ दोपहर 1:21 बजे से होगा। अतएव धन त्रयोदशी के लिए कीमती धन-आभूषणों की खरीद का कार्य का इसके बाद किया जाना ठीक रहेगा। स्थिर लग्न में भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी व कुबेरादि का पूजन स्थिर प्रभाव देने वाला होता है।
अतएव प्रदोष काल मे सूर्यास्त के बाद दो घंटा 24 मिनट तक पूजनादि कार्य संपन्न कर लेना उचित रहेगा। धनतेरस के दिन ही मां लक्ष्मी व गणेश की प्रतिमाओं की खरीदारी कर लेनी चाहिए और प्रदोष काल में पूजन कर लेना चाहिए ताकि मां लक्ष्मी व भगवान गणेश का वास भी घर में स्थिरता के साथ हो।