जम्मू-कश्मीर में हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गठबंधन किया था, लेकिन अब उनकी दोस्ती और गठबंधन की मजबूती को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। ओमर अब्दुल्ला की नई सरकार में कांग्रेस को कोई महत्वपूर्ण पद या हिस्सेदारी नहीं मिली है, साथ ही, राज्यसभा की सीटों में भी कांग्रेस को हिस्सा नहीं दिया गया है। यह सब देखकर लगता है कि कांग्रेस को इस गठबंधन में ज्यादा महत्व नहीं दिया गया।
कांग्रेस को मिली राजनीतिक चुनौती
कांग्रेस के लिए यह स्थिति काफी मुश्किल भरी है क्योंकि चुनाव के दौरान वे एनसी के साथ मिलकर ही मैदान में उतरे थे, लेकिन अब उन्हें सरकार में भागीदारी और राजनीतिक फायदा नहीं मिल पा रहा। कांग्रेस के समर्थक भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनकी पार्टी को गठबंधन में उचित स्थान नहीं मिल रहा है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस की रणनीति और राजनैतिक चालों को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नए बदलाव के संकेत
यह परिस्थिति जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नए बदलावों का संकेत देती है। कांग्रेस-एनसी के बीच रिश्ते कितने मजबूत हैं, यह अब देखने वाली बात होगी। कई राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि अगर कांग्रेस को इस तरह नजरअंदाज किया गया, तो भविष्य में यह गठबंधन कमजोर पड़ सकता है और दोनों पार्टियां अलग-अलग रास्ते अपना सकती हैं।