चंद्रशेखर आज़ाद की सियासी राह पर संकट के बादल: साजिश या सच्चाई ?

Authored By: News Corridors Desk | 24 Jun 2025, 05:39 PM
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उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति में तेजी से उभरे चंद्रशेखर आज़ाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं । लेकिन इस बार वजह न तो कोई आंदोलन है, न कोई सियासी रणनीति। वजह है एक महिला द्वारा लगाया गया यौन शोषण का गंभीर आरोप जिससे उनकी छवि और राजनीतिक भविष्य दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

भीम आर्मी से निकलकर संसद तक का सफर तय करने वाले चंद्रशेखर आज़ाद ने जब नगीना लोकसभा सीट से जीत दर्ज की, तो यह सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं थी। यह बसपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध का संकेत था। यही वजह है कि हगुजन समाजवादी पार्टी की नेता मायावती को अपनी रणनीति में बदलाव लाना पड़ा ।

अब उन्होंने युवा नेतृत्व को आगे लाने की कवायद तेज़ कर दी है । भतीजे आकाश आनंद को आगे कर मायावती युवा वर्ग को पार्टी से जोड़ने और चंद्रशेखर आजाद की चुनौती से निपटने की कोशिश कर रही हैं ।लेकिन चंद्रशेखर आजाद इस वक्त जिस तरह के आरोप से घिरे हैं उससे उकी छवि को काफी नुकसान होता दिख रहा है । 

क्या है पूरा मामला?

इंदौर निवासी एक महिला ने चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई है । इसमें चंद्रशेखर पर भावनात्मक, मानसिक और यौन शोषण जैसे बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं । महिला का आरोप है कि वह 2021 से चंद्रशेखर के साथ रिश्ते में थीं और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे पहले से शादीशुदा हैं। महिला का दावा है कि उन्हें शादी का झांसा दिया गया और इसी दौरान उनका शोषण हुआ।

महिला ने सोशल मीडिया पर शिकायत की रसीद साझा करते हुए कानूनी लड़ाई की घोषणा भी कर दी है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि चंद्रशेखर ने जाटव समाज की कई अन्य लड़कियों के साथ भी ऐसा व्यवहार किया है। राष्ट्रीय महिला आयोग अब इस शिकायत की जांच करेगा। अगर आयोग इसे गंभीर मानते हुए पुलिस जांच की अनुशंसा करता है, तो एफआईआर दर्ज हो सकती है। 

चंद्रशेखर की चुप्पी और राजनीतिक मायनेअब तक चंद्रशेखर ने इस मामले में कोई सार्वजनिक सफाई नहीं दी है, सिर्फ इतना कहा है कि "जो कहना है, कोर्ट में कहेंगे।" लेकिन उनकी यह चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। उनके समर्थक इस पूरे घटनाक्रम को एक सियासी साजिश बता रहे हैं। उनका कहना है कि चंद्रशेखर की लोकप्रियता और बीएसपी के विकल्प के रूप में उभरती छवि को खत्म करने के लिए यह प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है।

बहरहाल यदि मामले में एफआईआर दर्ज होती है और जांच आगे बढ़ती है तो चंद्रशेखर आजाद के लिए परेशानी बढ़ सकती है । फिलहाल मामला राष्ट्रीय महिला आयोग के पास है । जैसे-जैसे कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी चंद्रशेखर आजाद के लिए चुनौती और बढ़ने की संभावना है । 

इन आरोपों से न सिर्फ उनकी छवि धूमिल होती दिख रही है, बल्कि इससे उस पूरे विमर्श को भी झटका लगता दिख रहा है जो युवा नेतृत्व, दलित चेतना और सामाजिक न्याय के इर्द-गिर्द बुना गया था ।