एक मुलाक़ात और होने लगी हजारों बात ? आज़म-अखिलेश में क्या ये बात हुई !

Authored By: News Corridors Desk | 08 Oct 2025, 05:34 PM
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AM या PM तो सब जानते हैं सुपह और रात । आज़म-अखिलेश की मुलाक़ात समाजवादी पार्टी के लिए एक नई सुबह लेकर आई है या रात का अंधेरा ये सवाल सबके ज़ेहन में हैं. अखिलेश यादव रामपुर आज़म खान की शर्तों में बँधकर चले आए लेकिन आज़म से 90 मिनट की बातचीत में क्या कोई रास्ता निकला, क्या कोई रणनीति परबात हुई. अखिलेश यादव के ट्वीट से तो ऐसा नहीं लगता है. जिसमें उन्होंने लिखा. क्या कहे भला उस मुलाक़ात को, जहां बस जज़्बात खामोशी से बात करते रहे. इन लाइन्स का मतलब निकालेंगे तो समझ में यही आता है केवल गिले शिकवों पर बात हुई, दूरियों पर बात हुई, साथ न देने की बात हुई। अब अखिलेश यादव आज़म से क्या बोले या क्या भरोसा दे पाए वो उनके बयान से समझ में आता है कि आज़म साहब समाजवादी पार्टी के वटवृक्ष हैं  क्या वैसे ही जैसे चाचा शिवपाल यादव हैं ?  

आज़म खान की शर्तें मानकर आए अखिलेश

आज़म ने मीडिया से बात करके कहा था कि मैं चाहता हूं मुझसे मिलने केवल अखिलेश यादव आएं और कोई नहीं क्योंकि जब मेरी पत्नी ईद पर अकेले बैठकर रोती रही और कोई नहीं आया तो अब भी कोई न आए. अखिलेश बरेली से रामपुर हेलीकॉप्टर से आए और उसके बाद बिना किसी नेता के अकेले ही आज़म खान से मिले. न आज़म की पत्नी मिलीं और आज़म खान का बेटा। अब एक पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष एक नेता की हर शर्त क्यों मान रहा है। इतनी तो अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव की शर्तें भी नहीं मानी ? दाल में कुछ तो काला है या पूरी दाल ही काली है इसका खुलासा तो आज़म खान के आगे के बयानों और कारनामों में दिखेगा

आज़म-अखिलेश में दूरियां क्यों बढ़ीं ?

अखिलेश यादव और आज़म परिवार में इतनी दूरियां उनके जेल जाने के बाद बनी। जेल और सजा का समाजवादी पार्टी ने कभी खुलकर विरोध नहीं किया। मीडिया में इक्का दुक्का बयानों को छोड़कर आज़म के साथ कोई खड़ा नज़र नहीं आया। रामपुर से आज़म के विरोध के बावजूद नदवी को टिकट दिया गया हालांकि मुरादाबाद से रुचिवीरा को टिकट देकर उसको बैलेंस करने की कोशिश भी की गई लेकिन दूरियां कम होने की जगह व्यवहारों और बयान से बढ़ती ही नज़र आईं. अब इस मुलाक़ात से दूरियां बढ़ेंगी या घटेंगी ये भी व्यवहार ही तय करेंगे