केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में आयोजित "घुसपैठ, जनसांख्यिकी परिवर्तन व लोकतंत्र" विषय पर नरेन्द्र मोहन स्मृति व्याख्यान' देते हुए महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने कहा कि 1951 से लेकर 2011 तक की जनगणना में लगातार धर्म पूछने की परंपरा रही है। वहीं, हिंदू आबादी में कमी और मुस्लिम आबादी में वृद्धि को वे घुसपैठ का नतीजा बताते हैं, न कि सिर्फ प्रजनन दर का।
घुसपैठ सिर्फ आंकड़े नहीं, ये देश की सुरक्षा और लोकतंत्र से जुड़ा सवाल है: अमित शाह
आगे भी उन्होंने बताया कि, जिस तरह से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं की संख्या घट गई, वे इसे धार्मिक प्रताड़ना या बोलचाल की परिस्थितियों का नतीजा नहीं मानते, बल्कि भारत में शरण की ओर रुख करने का उदाहरण बताते हैं।
सिर्फ फर्टिलिटी रेट नहीं, घुसपैठ का नतीजा है। CAA नागरिकता देने का कानून है, लेने का नहीं।
शाह ने यह भी कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं, बल्कि शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का एक उपाय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शरणार्थियों और घुसपैठियों को समान नहीं माना जाना चाहिए। साथ ही, सरकार "Detect, Delete और Deport" की नीति अपनाकर घुसपैठ रोकने का संकल्प रखती है। विषय को राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मसला बताते हुए उन्होंने कहा कि उसका असर लोकतंत्र और राष्ट्र सुरक्षा पर है।