11 अप्रैल 2025 को भारत के जीआई कानून के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज किया गया। इस दिन उत्तर प्रदेश के 21 उत्पादों को एक साथ जीआई (भौगोलिक संकेत) प्रमाणपत्र प्रदान किए गए, वह भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गरिमामयी उपस्थिति में। यह पहली बार हुआ है जब किसी एक राज्य के इतने उत्पादों को एक साथ यह प्रतिष्ठित पहचान मिली।
काशी बना दुनिया का जीआई हब
इस आयोजन में काशी क्षेत्र का विशेष योगदान रहा, जहाँ 32 जीआई टैग प्राप्त उत्पाद हैं। यह क्षेत्र न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में जीआई उत्पादों का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। काशी क्षेत्र से लगभग 20 लाख लोग इन शिल्पों से आजीविका अर्जित कर रहे हैं और इसका वार्षिक कारोबार ₹25,500 करोड़ तक पहुँच गया है।
विशेषज्ञों ने जताई प्रसन्नता
पदमश्री डॉ. रजनीकान्त, जीआई विशेषज्ञ ने इस अवसर को "भारत के जीआई इतिहास का गौरवशाली दिन" कहा। उन्होंने नाबार्ड, उत्तर प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा और प्रयासों को इसका श्रेय दिया।
प्रधानमंत्री मोदी के करकमलों से मिला सम्मान
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी जी ने तीन शिल्पकारों को विशेष रूप से जीआई प्रमाणपत्र प्रदान किए, जिनमें शामिल हैं:
अनिल कुमार – बनारस मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, काशीक्षेत्र मेटल क्राफ्ट प्रोड्यूसर कम्पनी
रमेश कुमार – बनारस शहनाई, सुबहे-ए-बनारस आनन्द कानन
श्रीमती छिद्दो देवी – थारू एम्ब्रॉयडरी, शिल्पगाथा फाउंडेशन, बरेली
इन शिल्पियों ने गर्व के साथ यह प्रमाणपत्र ग्रहण किया और अपनी कला को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
जीआई टैग प्राप्त 21 उत्पादों की सूची
उत्तर प्रदेश के 21 जीआई पंजीकृत उत्पाद और संबंधित संस्थाएं