महाराष्ट्र की राजनीति में शुक्रवार को एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया, जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे करीब दो दशक बाद एक ही मंच पर नजर आए। मुंबई के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में हुई 'मराठी विजय रैली' को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम अब साथ आए हैं, और साथ ही रहेंगे। मराठी भाषा और मराठी मानुष के लिए हमें एकजुट होना ही होगा। हमारे बीच की दूरियों को कुछ लोगों ने पाट दिया है।"
उद्धव ने मंच से केंद्र सरकार पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा और संस्कृति का अपमान अब सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने ‘यूज़ एंड थ्रो’ की राजनीति की,अब उन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है।
हिंदी थोपने की कोशिश मंजूर नहीं - उद्धव
उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मराठी भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की ‘यूज़ एंड थ्रो’ नीति के खिलाफ अब मराठी जनता एकजुट हो चुकी है। उद्धव ने प्रधानमंत्री मोदी की शिक्षा पर भी सवाल उठाए और कहा कि जब लोग हमारे स्कूल पूछते हैं तो यह भी बताया जाए कि पीएम मोदी किस स्कूल में पढ़े थे । उन्होंने कहा, “हमें हिंदुत्व सिखाने की ज़रूरत नहीं, हिंदुत्व पर किसी एक पार्टी का अधिकार नहीं है।”
रैली में उद्धव ठाकरे ने 1992 के दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय मुंबई के मराठी लोगों ने हिंदुओं की जान बचाई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री फडणवीस को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मराठी भाषा की रक्षा के लिए आवाज़ उठाना गुंडागर्दी है, तो हम भी ऐसे 'गुंडे' बनने को तैयार हैं।
उद्धव ने केंद्र सरकार की 'हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान' नीति की आलोचना करते हुए कहा, “हमें हिंदू और हिंदुस्तान मंजूर है, लेकिन हिंदी थोपने की कोशिश मंजूर नहीं । जबरन हिंदी थोपी गई तो हम उसका विरोध करेंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी कोशिशें क्यों न की जाएं।”
राज ठाकरे बोले-हिंदी थोपने की कोशिश बर्दाश्त नहीं करेंगे
इसी मंच से उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे ) के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि एजेंडे के तहत हम पर हम पर हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है, लेकिन हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे । उन्होंने कहा कि, "जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया, उन्होंने मुझे और उद्धव को एक साथ खड़ा कर दिया।”
मनसे प्रमुख ने कहा कि जब हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ते हैं तो हमारे मराठीपन पर सवाल उठते हैं. लेकिन जब बीजेपी नेताओं ने मिशनरी स्कूलों में पढ़ाई की, तब उनके हिंदुत्व पर किसी ने उंगली नहीं उठाई ।
राज ठाकरे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे और उनके पिता श्रीकांत ठाकरे भी इंग्लिश मीडियम से पढ़े थे लेकिन मराठी को कभी नहीं छोड़ा । उन्होंने कहा कि, मैं ये मानता हूं कि देश की सभी भाषाएं अच्छी हैं, लेकिन हिंदी के नाम पर छोटे-छोटे बच्चों से जबरदस्ती नहीं सही जाएगी।
विवाद की जड़ कहां है ?
हिंदी को लेकर विवाद तब गहराया जब सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन द्वारा महाराष्ट्र के प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने की बात कही गई । इसके बाद विपक्षी पार्टियों को एक मुद्दा मिल गया और विरोध शुरू हो गया ।
उद्धव और राज ठाकरे दोनों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है । माहौल को देखते हुए आखिरकार सरकार को इस नीति को वापस लेना पड़ा । उद्धव आर राज ठाकरे इसे मराठी अस्मिता की जीत बता रहे हैं ।