नेशनल कांफ्रेंस नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं । शनिवार को न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि वो न पहले कभी आतंकवाद के साथ थे और न ही आगे रहेंगे । परन्तु महबूबा मुफ्ती आतंकियों के घर जाती थीं ।
फारूक अब्दुल्ला यहीं नहीं रूके । उन्होने कश्मीरी पंडितों के मामले पर भी महबूबा पर कई सवाल खड़े कर दिए । पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, कश्मीर कभी पाकिस्तान के साथ नहीं था और अब आतंकवाद को हमेशा के लिए उखाड़ फेंकने का समय आ गया है ।
महबूबा की आरोप से भड़के फारुक
दरअसल महबूबा मुफ्ती ने फारूक अब्दुल्ला के उस बयान की कड़ी आलोचना की ती जिसमें उन्होंने पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों को लोकल सपोर्ट होने की बात कही थी । उन्होने कहा था कि बिना आतंकी पाकिस्तान से कैसे आए..मुझे नहीं लगता कि बिना मदद के ऐसा हो सकता है ।
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में फारूक अब्दुल्ला के बयान को भ्रामक और घातक बताते हुए कहा कि इससे विभाजनकारी विमर्श को बढ़ावा मिलने का खतरा है । महबूबा ने कहा कि इससे कुछ मीडिया चैनलों को कश्मीरियों और मुसलमानों को और अधिक बदनाम करने का मौका मिल रहा है ।
फरूक अब्दुल्ला ने महबूबा पर लगाए बेहद गंभीर आरोप
महबूबा के आरोप के बारे में पूछे जाने पर नेशनल कांफ्रेंस के नाता ने कहा कि , '34 साल हो गए...इसकी शुरुआत किसने की ? वो कौन लोग थे जिन्होने हमारे पंडित भाइयों को यहां से निकाला ? इसका जवाब दीजिए... मैं जिन जगहों पर नहीं जा सकता था , उन जगहों पर ये जाती थीं...उन आतंकियों के घरों में । '
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि, ' मैं महबूबा मुफ्ती की हर बात का जवाब दूं तो अच्छा नहीं लगेगा...ना हम कभी पाकिस्तानी थे और ना हीं होंगे । हम भारत के अटूट अंग हैं... हम भारत का ताज हैं ।
वे न जीत पाए हैं और न कभी जीत पाएंगे - फारुक
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि , मैं उस दुल्हन से कहना चाहता हूं जिसकी शादी को सिर्फ छह दिन हुए थे, उस बच्चे से भी कहना चाहता हूं जिसने अपने पिता को खून से लथपथ देखा - हम भी रोए, हमने भी खाना नहीं खाया ...वे मनुष्य नहीं हैं ।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के कारण अपनों को खो चुके परिवारों के साथ हम खड़े हैं । मैं उन्हें यकीन दिलाता हूं कि ये कुर्बानियां व्यर्थ नहीं जाएंगी ... हम इसे पिछले 35 वर्षों से देख रहे हैं, लेकिन वे जीत नहीं पाए हैं और न कभी जीत पाएंगे।
सिंधु जल संधि के पुनर्समीक्षा की मांग
फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि को लेकर भी नाराजगी जताई है और इसकी पुनर्समीक्षा की आवश्यकता है । उन्होने कहा कि जब यह संधि की गई तब जम्मू-कश्मीर के लोगों से राय नहीं ली गई ।
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हमारी नदियां यहां से निकलती हैं, लेकिन फिर भी हम उनके पानी से वंचित हैं ... हमें बिजलीघर नहीं बनाने की अनुमति है। पानी की एक बाल्टी लेने के लिए हमें पूछना पड़ता है । उन्होने कहा कि जम्मू क्षेत्र में पानी की भारी कमी है । यह एक गंभीर मसला है, जिसे अब गंभीरता से उठाने की ज़रूरत है ।
अमरनाथ यात्रा को लेकर फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि श्रद्दालुओं को डरने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि अमरनाथ जी स्वयं उनकी रक्षा करेंगे । आप सभी आइए और भोले बाबा का दर्शन कीजिए ।