निमिषा को बचाने की आखिरी कोशिश:राजनयिक दखल की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Authored By: News Corridors Desk | 10 Jul 2025, 02:36 PM
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यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के पास अब सिर्फ 6 दिन बचे हैं । यमन के एक नागरिक की हत्या के मामले में वहां की अदालत ने 16 जुलाई को मौत की सजा देने का फैसला सुनाया है । इस बीच उसे बचाने की संभवतः आखिरी कोशिश की जा रही है । 

सुप्रीम कोर्ट ने निमिषा प्रिया को मौत की सजा से बचाने के लिए दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई की सहमति दे दी है । सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल की तरफ से दायर की गई इस याचिका में भारत सरकार से कूटनीतिक दखल देने की मांग की गई है ।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 14 जुलाई 2025 की तारीख तय की है और अटॉर्नी जनरल को भी सुनवाई में भाग लेने को कहा है। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह यमन की सरकार और पीड़ित परिवार से बातचीत कर ब्लड मनी के जरिए निमिषा को मौत की सजा से बचाने की कोशिश करे, क्योंकि अब यही एकमात्र रास्ता बचा है । 

क्या है पूरा मामला ? 

निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स हैं। साल 2008 में वह नर्सिंग के काम के लिए यमन गई थीं । बाद में उन्होंने यमनी नागरिक मोहम्मद नासर अब्दुल्ला अल महदी के साथ मिलकर एक क्लीनिक शुरू किया। लेकिन रिश्तों में कड़वाहट आने के बाद साल 2017 में महदी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई और निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया।

यमन की पुलिस का दावा है कि निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा की ज़्यादा मात्रा देकर उसकी हत्या कर दी। जबकि निमिषा का कहना है कि उन्होंने जानबूझकर किसी की हत्या नहीं की। उनका इरादा सिर्फ अपना पासपोर्ट वापस लेने का था, जिसे महदी ने जबरन छीन लिया था। निमिषा के अनुसार महदी ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था, उनके पैसे और पासपोर्ट छीन लिए ताकि वह वापस भारत न लौट सके । 

अब 'ब्लड मनी' ही आखिरी विकल्प

यमन की एक अदालत ने 2020 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई थी । इसके खिलाफ निमिषा की ओर से की गई आखिरी कानूनी अपील भी 2023 में खारिज हो चुकी हैं । इसके बाद हूती विद्रोहियों की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल ने भी इस सजा को मंजूरी दे दी । अब यमन में निमिषा के पास बचाव का एक ही रास्ता बचा है और वो यह है कि, यदि मृतक मोहम्मद नासर अब्दुल्ला अल महदी का परिवार उन्हें माफ कर दे।

यमन की शरिया कानून के मुताबिक, अगर कोई परिवार हत्या के बदले "ब्लड मनी" (दियाह) यानि आर्थिक मुआवजा स्वीकार कर ले और माफी दे दे, तो मौत की सजा टाली जा सकती है । इसी आधार पर निमिषा के परिजन और समर्थक अब मुआवज़े की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन महदी के परिवार ने अब तक इसे स्वीकार नहीं किया है। निमिषा फिलहाल यमन की राजधानी सना की सेंट्रल जेल में बंद हैं और उनकी मां अपनी बेटी को बचाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं।