वक्फ पर गौरव गोगोई बोले, इमरान मसूद भी बोले...राहुल क्यों भाग निकले ?

Authored By: News Corridors Desk | 02 Apr 2025, 09:05 PM
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क्या कांग्रेस वक्फ बिल को लेकर दुविधा में हैं ?  क्या राहुल गांधी को लग रहा है कि इस पर बोलने से दोहरा ख़तरा है ?  समर्थन किया तो हिन्दू भाग निकलेंगे और विरोध किया तो मुस्लिम सवाल करेंगे ?  क्या इसीलिए पार्टी ने गौरव गोगोई और इमरान मसूद को आगे कर दिया ताकि राहुल की छवि बचाई जा सके ?  

हालाँकि कांग्रेस ने वक़्फ़ में संशोधन के ख़िलाफ़ ही मोर्चाबंदी की है , परन्तु समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव वक्फ बोर्ड बिल के विरोध में जिस तरह से खुलकर बोल रहे हैं, राहुल गांधी वैसा करते नहीं दिख रहे । बल्कि वो इससे बचते नजर आ रहे हैं । 

ऐसे में सवाल ये है कि आख़िर राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष का तमग़ा लेकर तो घूम रहे हैं लेकिन बड़ी डिबेट में वो सीधा प्रहार करने से बचते क्यों नजर आ रहे हैं । बताया जाता है कि राहुल गांधी की खामोशी मुस्लिमों को भी काफी चुभ रही है ।

 गौरतलब है कि जब मार्च महीने में वक्फ बिल पर माहौल गर्म हो रहा था तब भी राहुल और प्रियंका सदन से गायब नजर आए । राहुल गांधी वियतनाम में छुट्टी मना रहे थे और यहां वक्फ बिल पर विरोध हो रहा था । 

क्यों वक्फ बिल पर बहस से भाग रहे राहुल?

राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों के दौरान मंदिर-मंदिर घूमने वाला फ़ंडा आज़माया था । कई जानकारों का मानना है कि राहुल अगर वक़्फ़ पर बोलते हैं तो फिर छवि रिमेक करनी पड़ सकती है । इसलिए बैठक में तय हुआ राहुल वक्फ पर नहीं बोलेंगे और सांसद गौरव गोगोई पार्टी की तरफ से बहस की शुरुआत करेंगे । 

सूत्रों का कहना है कि सरकार ने वक्फ बिल लाने के लिए बहुत तैयारी की है । हिल लाने से पहले पाकिस्तान, सऊदी अरब, मिस्र और कुवैत जैसे मुस्लिम देशों में मौजूद वक्फ कानूनों का भी अध्ययन किया गया है । राहुल गांधी जिस इन-डेप्थ जानकारी का हवाला दे रहे हैं, वह यही है । शायद वह नहीं चाहते कि वक्फ बिल पर उनकी जुबान से कुछ ऐसा निकले, जिससे उनकी फ़ज़ीहत हो जाए । 

सोशल मीडिया पर भी राहुल की टाइमलाइन ख़ामोश

राहुल गांधी संसद में तो नहीं ही बोले, सोशल मीडिया पर भी राहुल की टाइमलाइन ख़ामोश ही रही । सबसे पहले राहुल गांधी के एक्स हैंडल पर आते हैं । राहुल गांधी पिछले 30 दिनों में बहुत सी बातों पर अपनी चिंता दिखाते हैं, पर उन्हें शायद वक्फ बोर्ड बिल के बारे में चर्चा करने से गुरेज़ है ।  

रायबरेली में मॉडर्न कोच फैक्ट्री के अधिकारियों के साथ रेल के भविष्य पर बातें करते हैं, वन अधिकार अधिनियमों की उपेक्षा पर चिंता करते हैं, गुजरात के बनासकांठा में हुए विस्फोट पर शोक प्रकट करते हैं, ईद की मुबारकबाद देते हैं, मुसलमानों के हित की बात करते हैं पर वक्फ बोर्ड पर एक लाइन भी बोलने से बचते हैं ।

आपको याद होगा कि कांग्रेस ने सीएए का विरोध भी इसी तरीके से किया था । कांग्रेस ने कभी सीएए का खुलकर विरोध नहीं किया । केरल विधानसभा चुनावों में पिनराई विजयन ने इसी बात को मुद्दा बना दिया था । पिनराई विजयन कहते थे कि राहुल गांधी अपने न्याय यात्रा के दौरान एक बार भी सीएए के विरोध में नहीं बोले ।  

वक्फ बिल पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही कांग्रेस 

कांग्रेस देश के कई हिस्सों में आज भी हिंदू वोट बैंक की बदौलत ही थोड़ी बहुत इज़्ज़त बचा पाई है । जिन राज्यों में बीजेपी का संगठन कमजोर है, वहां के हिंदू अभी भी कांग्रेस को अपनी पार्टी मानते हैं । यही हाल पंजाब में भी है ।  यहां सिखों की पार्टी अकाली दल है और हिंदू कांग्रेस को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं । 

उत्तर भारत के राज्यों में भी सवर्ण हिंदू कांग्रेस का कोर वोट बैंक रहे हैं । कांग्रेस आज चाहती है कि उसके पुराने कोर वोटर्स उसके साथ फिर से वापस आएं । इसी रणनीति के चलते ही कांग्रेस वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का विरोध फूंक -फूंक कर रही है । 

राहुल गांधी को लेकर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी एक्स पर बड़ी चुटकी ली । उन्होंने उद्धव ठाकरे से पूछा कि आप किस की नीति मानेंगे । बाला साहेब ठाकरे की या फिर राहुल गांधी की ?