लपेटे में कैसे आए IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश ? निलंबन के बाद बर्खास्तगी की भी लटक रही तलवार !

Authored By: News Corridors Desk | 21 Mar 2025, 06:09 PM
news-banner

लखनऊ :  उत्तर प्रदेश के सीनियर IAS अधिकारी और इंवेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच में कई और खुलासे हो सकते हैं । इस मामले में गिरफ्तार किए गए बिचौलिये निकांत जैन से चल रही पूछताछ के बाद कई और अधिकारी इसके दायरे में आ सकते हैं । 

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बाद बड़ा एक्शन लेते हुए अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया है । उन्हे फिलहाल राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है और बिना इजाजत मुख्यालय छोड़ने पर भी रोक लगा दी गई है । 

अभिषेक प्रकाश पर एक बिचौलिए के जरिए SAEL Solar P6 प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी से इंडस्ट्री लगाने के लिए कमीशन मांगने का आरोप लगा है । इसको लेकर कंपनी की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक शिकायत पहुंचाई थी जिसके बाद मामला एसटीएफ को सौंप दिया गया था । 

जांच में अभिषेक प्रकाश को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया । जिस बिचौलिए के जरिए 5 प्रतिशत कमीशन मांगने के आरोप लगाए गए हैं उसका नाम निकांत जैन है जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है । उसके खिलाफ गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है । 

क्या है पूरा मामला 

 20 मार्च को SAEL Solar P6 प्राइवेट लिमिटेड के विश्वजीत दत्ता ने कमीशन न देने के कारण अपनी फाइल बार-बार टाले जाने की शिकायत दर्ज कराई थी । विश्वजीत दत्ता ने  कहा कि वो सोलर सेल, सोलर पैनल और सोलर प्लांट के पुर्जे बनाने की फैक्ट्री लगाना चाहते हैं । इसके लिए उनकी कंपनी ने UP इंवेस्ट के तहत लेटर ऑफ कंफर्ट  (LOC) के लिए आवेदन किया था । लेकिन इसके लिए उनसे 5 प्रतिशत कमीशन मांगी जा रही है जिसे न देने की वजह से उनकी फाइल बार-बार टाली जा रही है ।  

zX11XL0.jpeg

विश्वजीत दत्ता ने IAS अभिषेक प्रकाश पर आरोप लगाया कि उन्होने बिचौलिए  निकांत जैन से ये कहते हुए मिलने को कहा कि उनकी सहमति के बाद ही संस्तुति होगी । विश्वजीत के मुताबिक जब वो निकांत जैन से मिले, तो उन्होंने प्रोजेक्ट को मंजूर करने के लिए उसकी कुल लागत का 5 प्रतिशत कमीशन के रुप में देने की मांग की । विश्वजीत ने कमीशन देने से मना कर दिया और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से इसकी शिकायत की । 

SAEL Solar P6 प्राइवेट लिमिटेड के विश्वजीत दत्ता का कहना है कि 12 मार्च 2025 को हुई मूल्यांकन समिति की बैठक में उनकी कंपनी को LOC जारी करने की संस्तुति कर दी गई थी । लेकिन कमीशन न देने की वजह से अभिषेक प्रकाश ने फिर से इसका पुनर्मूल्यांकन करने का आदेश दे दिया । 

मामला संज्ञान में आने पर सीएम ने दिए कार्रवाई के आदेश

बताया जाता है कि मामला सामने आने के बाद आईएएस अभिषेक प्रकाश को बचाने की भी काफी कोशिशें की गई । परन्तु मामला जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में आया तो उन्होने इसकी डिटेल्स मंगाई और इसके बाद जांच के आदेश दे दिए । तफ्तीश में प्रथम द्रष्टया दोषी पाए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने सस्पेंड करने के साथ साथ सख्त विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए । 

गौरतलब है कि सीएम योगी लगातार राज्य में निवेश को आमंत्रित कर रहे हैं और इसके लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने की भी कोशिश कर रहे हैं । उनकी सरकार ने इसके लिए जून 2020 में इन्वेस्ट यूपी के गठन को मंजूरी दी थी । इसके तहत उद्योगों के लिए आवेदन से लेकर अनुमति तक की प्रक्रिया ऑनलाइन की गई ताकि तेजी से काम हो और पारदर्शिता भी बनी रहे । 

लेकिन अब इसमें भी जिस तरह से करप्शन का मामला सामने आया है उससे सीएम काफी नाराज हैं  और इसलिए आईएएस अभिषेक प्रकाश के मामले को उन्होने काफी गंभीरता से लिया है । 

बताया जाता है कि SAEL सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के ऑनलाइन आवेदन करते ही दलाल सक्रिय हो गए। उन्होने न सिर्फ कमीशन की मांग की बल्कि यहां तक कहा कि कहीं भी चले जाओ, लौटकर यहीं आना पड़ेगा ।  माना जा रहा है कि इस मामले में कई और अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है । 

अभिषेक पर मंडरा रहा बर्खास्तगी का भी खतरा 

आरोप यदि सही साबित हो जाते हैं तो अभिषेक प्रकाश के लिए मुश्किलें काफी बढ़ सकती है । जब भी किसी अधिकारी पर इस तरह के गंभीर आरोप लगते हैं और जांच में वह दोषी पाया जाता है तो उसके लिए दो तरह के दंड का प्रावधान है । ये हैं ' लघु दंड ' और 'वृहद दंड ' । इसका निर्धारण इस बात से होता है कि अपराध किस श्रेणी का है ।

बताया जाता है कि अभिषेक प्रकाश के मामले में 'वृहद दंड ' का जिक्र है । ऐसी स्थिति में यदि वह दोषी साबित होते हैं तो उनका डिमोशन हो सकता है, उनके ग्रेड पे में बढ़ोतरी को रोका जा सकता है या बर्खास्त भी किया जा सकता है ।  

कौन हैं अभिषेक प्रकाश ? 

अभिषेक प्रकाश मूल रुप से बिहार के रहने वाले हैं और 2006 बैच के IAS अफसर हैं । आईएएस बनने से पहले उन्होने IIT रुड़की से बीटेक की डिग्री ली और उसके बाद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और पह्लिक पॉलिसी में मास्टर्स की डिग्री ली । इसके बाद यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया में 8वीं रेंक हासिल की । उन्होने यूपी कैडर की आईएएस अधिकारी अदिति सिंह से शादी की । हालांकि बाद में दोनों एक दूसरे से अलग हो गए । 

अभिषेक प्रकाश मूल रुप से नागालैंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन शादी के बाद 2010 में उन्होने कार्मिक मंत्रालय को कैडर में बदलाव कर उत्तर प्रदेश में पोस्टिंग के लिए प्रार्थना पत्र दिया जिसे स्वीकार कर लिया गया था । उसके बाद उनकी भी पोस्टिंग उत्तर प्रदेश में हो गई । यदि पति-पत्नी दोनों आईएएस अधिकारी हैं और वो एक ही प्रदेश में रहना चाहते हैं या अधिकारी की जान को खतरा हो तब ऐसी स्थिति में कैडर बदलने का प्रावधान है । 

 अभिषेक प्रकाश एक समय यूपी सरकार में वह काफी ताकतवर नौकरशाह माने जाते थे । वर्तमान में वह सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, आईडीसी विभाग एवं सीईओ इंवेस्ट यूपी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे । अभिषेक प्रकाश लखनऊ के डीएम भी रह चुके हैं ।  उनपर लखनऊ डिफेंस एक्सपो जमीन घोटाला मामले में भी आरोप लगे हैं । सरोजनीनगर स्थित भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिगृहित की गई जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता के आरोप लगे ।

बिचौलिया निकांत जैन की क्या है कहानी ? 

bLCGNE5.jpeg

निकांत जैन मूल रुप से मेरठ का रहने वाला है । करीब 8 साल पहले वह मेरठ छोड़कर लखनऊ आया था । यहां गोमती नगर इलाके में एक आलीशान कोठी में रहता है । पहले वह किरोसीन तेल का कारोबार करता था । लेकिन बाद में दलाली के धंधे में सक्रिय हो गया । 

2016 में अभिषेक प्रकाश जब मेरठ में पीवीवीएनएल में एमडी थे तभी निकांत जैन उनके संपर्क में आया । निकांत भाजपा के एक नेता का रिश्तेदार है और बताया जाता है कि उन्ही के जरिए उसने अभिषेक प्रकाश तक अपनी पहुंच बनाई थी ।