बिहार में जारी रहेगा वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन का कार्य , सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इनकार

Authored By: News Corridors Desk | 10 Jul 2025, 04:05 PM
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बिहार में वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जारी रहेगा । सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बड़ी राहत देते हुए मतदाता सूची के सत्यापन पर रोक लगाने से मना कर दिया । देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मतदाता सूची की जांच लोकतांत्रिक कार्य है । संवैधानिक संस्था के काम पर रोक नहीं लगा सकते हैं ।

करीब 3 घंटे की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने ये फैसला सुनाया । इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट के रिवीजन के लिए तय किए गए दस्तावेजों में आधार कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड को शामिल करने का सुझाव दिया । 

चुनाव आयोग के फैसले को कई विपक्षी पार्टियों ने भी दी चुनौती 

सुप्रीम कोर्ट बिहार में वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन के समय और इसके तरीके के विरोध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखेगा । अदालत ने चुनाव आयोग को अपना पक्ष रखने के लिए 21 जुलाई का समय दिया है , वहीं 28 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी । 

निर्वाचन आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं । इनमें विपक्ष की नौ प्रमुख पार्टियां कांग्रेस, राकांपा (एसपी), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भाकपा-मार्क्सवादी लेनिनवादी (माले) के नेताओं की एक संयुक्त याचिका भी शामिल है । इसके अलावा कई अन्य व्यक्तियों और सामाजिक संस्थाओं ने भी याचिका दाखिल की है ।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलों में कहा कि बिहार में विधानसभा चुनाव से कुछ ही दिनों पहले एसआईआर का चुनाव आयोग का फैसला मनमानी भरा है और इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का सिद्धांत कमजोर होता है । उन्होंने आशंका जताई कि कम समय सीमा और मांग की जा रही दस्तावेजों की वजह से हुत से लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित हो सकते हैं ।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल , अभिषेक मनु सिंघवी और सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण ने और चुनाव आयोग की तरफ से पूर्व एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पक्ष रखा ।