बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है । एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए उन्होंने चुनाव के बहिष्कार (बॉयकॉट) पर भी चर्चा करने की बात कह डाली ।
तेजस्वी यादव से जब यह पूछा गया कि कि क्या विपक्ष आपसी सहमति से चुनाव बहिष्कार का फैसला ले सकता है ? इसपर राजद नेता ने कहा कि इस मुद्दे पर जनता और दूसरे राजनीतिक दलों की राय ली जाएगी, और यदि सब सहमत हुए, तो चुनाव में भाग ना लेने का निर्णय भी लिया जा सकता है ।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर चुनाव ईमानदारी और निष्पक्ष तरीके से नहीं हो रहे हैं, तो फिर इन्हें कराने का क्या मतलब है? तेजस्वी ने कहा कि चुनाव कांप्रेमाइज हो चुका है । अगर सरकार को पहले से ही पता है कि उसे ही जीतना है, या अगर पूरी प्रक्रिया पहले से तय है, तो फिर सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी को सत्ता सौंप देनी चाहिए। इससे लोगों का समय और मेहनत दोनों बचेगा।
"अब सरकार वोटर चुन रही है"
तेजस्वी यादव ने अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए कहा कि पहले चुनावों में जनता सरकार चुनती थी, लेकिन अब हालात उल्टे हो गए हैं। उन्होंने कहा कि अब तो ऐसा लग रहा है जैसे सरकार ही वोटर्स को चुन रही है। यानी सरकार तय कर रही है कि कौन वोट देगा और कौन नहीं।
तेजस्वी ने कहा कि बिहार में अचानक बहुत बड़ा अभियान चला दिया गया, जिसमें लाखों लोगों के वोटर लिस्ट से नाम काटे जा रहे हैं। तेजस्वी ने कहा कि अगर सिर्फ 1% लोगों के नाम भी हटते हैं, तो यह संख्या लाखों में होगी। यह बहुत बड़ी बात है और चिंता का विषय है।
बिहार में विदेशी वोटर्स का झूठा मुद्दा?
तेजस्वी यादव ने बीजेपी नेताओं के उस बयान पर भी हमला बोला जिसमें कहा गया था कि बिहार में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के लोग वोट दे रहे हैं। तेजस्वी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने खुद हलफनामा देकर कहा है कि ऐसी कोई बात नहीं है । कोर्ट में इस बात का कोई प्रमाण नहीं दिया गया कि विदेशियों के नाम वोटर लिस्ट में हैं । इससे साफ है कि यह बयान केवल जनता को भ्रमित करने के लिए दिया गया था।
विधानसभा में विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है
तेजस्वी यादव ने विधानसभा में हो रही घटनाओं पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब वह सदन में बोल रहे थे, तब बिहार के उपमुख्यमंत्री ने बीच में टिप्पणी की और उनके ऊपर अमर्यादित टिप्पणी की। तेजस्वी ने साफ कहा कि वे अध्यक्ष की अनुमति से बोल रहे थे, इसलिए किसी को भी बीच में रोकने या अपमान करने का अधिकार नहीं है।
तेजस्वी ने पूछा कि अगर विधानसभा में विपक्ष का नेता सवाल नहीं पूछेगा, तो फिर कौन पूछेगा? अगर सवाल नहीं होंगे, तो सरकार जवाब कैसे देगी? लोकतंत्र में सवाल-जवाब का होना बहुत ज़रूरी है।