इन दिनों राष्ट्रीय राजनीति में जिन मुद्दों की सबसे अधिक चर्चा हो रही है, उनमें से एक है बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव । सिर्फ पार्टी कार्यकर्ता और नेता ही नहीं बल्कि राजनीति में रूचि रखने वाले आम लोग भी इस सवाल का जवाब जानने के लिए काफी उत्सुक दिख रहे हैं । राजनीतिक हलकों से लेकर मीडिया तक में इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं ।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में करीब ढाई साल की देरी हो चुकी है। परन्तु उम्मीद की जा रही है कि इस महीने पार्टी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर देगी ।
बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म हो चुका था, जिसे 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़ाया गया था। लेकिन वह अब भी पद पर बने हुए हैं । बीजेपी के संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने से पहले कम से कम 19 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चयन होना जरूरी है। अब ज्यादातर राज्यों में नये प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो चुका है और नई कार्यकारिणी तय हो चुकी है। इसके बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है ।
पार्टी को मिलेगी पहली महिला अध्यक्ष ?
इस बार यह चर्चा काफी तेज है कि बीजेपी पहली बार किसी महिला को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की अहम जिम्मेदारी सौंप सकती है । यदि ऐसा होता है तो यह कदम न सिर्फ ऐतिहासिक होगा, बल्कि बीजेपी की रणनीति में एक बड़े बदलाव का भी संकेत होगा । ऐसी चर्चा है कि महिला अध्यक्ष को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी सहमत है ।
तीन महिला नेताओं के नाम इस रेस में सबसे आगे होने की बात कही जा रही है । खास बात यह है कि ये सभी दक्षिण भारत से हैं ।

पहला नाम - निर्मला सीतारमण
बीजेपी अध्यक्ष के लिए जिन तीन महिला नेताओं के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है उनमें पहला नाम है केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का । तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाली सीतारमण इससे पहले रक्षा मंत्री रह चुकी हैं और पार्टी संगठन में उनका लंबा अनुभव है ।
हाल ही में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ दिल्ली में एक अहम बैठक की, जिसके बाद से उनकी दावेदारी की चर्चा काफी तेज हो गई है । अगर निर्मला सीतारमण अध्यक्ष बनती हैं, तो बीजेपी को दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिल सकती है ।

दूसरा नाम - डी. पुरंदेश्वरी
बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए डी. पुरंदेश्वरी का नाम भी काफी जोर-शोर से लिया जा रहा है । वह आंध्र प्रदेश बीजेपी की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी हैं । डी. पुरंदेश्वरी कई भाषाओं की जानकार हैं । वह आंध्रप्रदेश के मशहूर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामाराव की बेटी हैं । इस तरह वह आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की रिश्तेदार हैं ष चंद्रबाबू की पत्नी और डी. पुरंदेश्वरी सगी बहने हैं ।
आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में जहां बीजेपी की स्थिति कमजोर है, उनकी नियुक्ति पार्टी को नई ताकत दे सकती है । लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान सीतारमण जितनी मजबूत नहीं है । इसके अलावा वह कांग्रेस से बीजेपी में आई हैं जो अड़चन बन सकती है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक बाहर से पार्टी में आए नेता को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में नहीं है ।

तीसरा नाम- वनथी श्रीनिवासन
वनथी श्रीनिवासन भी तमिलनाडु से आती हैं । फिलहलाह वह कोयंबटूर साउथ से विधायक हैं। उन्होंने 2021 में कमल हासन को हराकर अपनी साख बनाई थी। 1993 से बीजेपी से जुड़ीं वनथी पार्टी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य जैसी अहम पदों पर रही हैं । उनका युवा और ऊर्जावान होना उनके पक्ष में जाता है , परन्तु राष्ट्रीय स्तर पर अनुभव की कमी उनकी राह में रोड़ा बन सकती है।
क्यों हो रही है महिला अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा
बीजेपी का अध्यक्ष किसी महिला को बनाए जाने की चर्चा ऐसे ही नहीं हो रही है । यह फैसला कई रणनीतिक कारणों से महत्वपूर्ण है । हाल के विधानसभा चुनावों, जैसे कि महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में, महिला मतदाताओं ने बीजेपी की जीत में बड़ी भूमिका निभाई है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार महिला वोटरों को अपनी सरकार का मजबूत आधार बताते रहे हैं । उज्ज्वला योजना और 2023 में पारित 33% महिला आरक्षण विधेयक जैसे कदमों ने इस वोट बैंक को और मजबूत किया है । एक महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति महिला मतदाताओं के बीच पार्टी की पैठ को और बढा सकती है ।
इसके अलावा, बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जहां डीएमके जैसे दल उसे "उत्तर भारत की पार्टी" बताकर सवाल उठाते हैं । दक्षिण भारत से किसी महिला नेता को चुनना विपक्ष के इस नैरेटिव को कमजोर कर सकता है।
अगर बीजेपी पहली बार महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनती है, तो यह बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं को और आकर्षित कर सकता है।
बताया जा रहा है कि आरएसएस भी इस फैसले में अहम भूमिका निभा रहा है । संघ एक ऐसी महिला नेता को समर्थन दे रहा है, जो वैचारिक रूप से मजबूत हो और संगठन की जड़ों से जुड़ी हो। संघ का मानना है कि नए अध्यक्ष को उन नेताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो बीजेपी के साथ लंबे समय से हैं, न कि उन नेताओं को जो अन्य दलों से आए हैं।
बीजेपी अध्यक्ष की रेस में और कौन-कौन शामिल ?

बीजेपी अध्यक्ष के लिए महिला नेतृत्व को लेकर भले ही जोरदार चर्चा चल रही है, परन्तु पार्टी की ओर से अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है । इस रेस में कई पुरुष नेताओं के नाम भी सामने आए हैं । केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कर्नाटक से सांसद प्रहलाद जोशी भी रेस में बताए जा रहे हैं । केंद्राय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की दावेदारी को भी खारिज नहीं किया जा रहा है ।
परन्तु इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी राजनीतिक विमर्श में काफी तेजी से उभरा है । ये सभी नेता संगठन के धाकड़ हैं औऱ सामाजिक समीकरण के खांचे में भी सेट होते हैं । लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषक मौर्या की दावेदारी को मजबूत बता रहे हैं । इसकी वजह संगठन औऱ सरकार का उनका अनुभव, पिछड़े समाज से आना और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का करीबी होना बताया जा रहा है ।

अगले दो हफ्तों में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा होने की संभावना है । किसके नाम पर मुहर लगेगी इसको लेकर अभी कयास ही लगाए जा रहे हैं । बीजेपी के मौजूदा नेतृत्व की कार्यशैली ऐसी है कि इस तरह के मामलों में ज्यादातर अनुमान गलत ही साबित होते हैं । इसलिए राजनीति के कई जानकारों का यह भी कहना है कि हमेंशा की भांति इस बार भी कयासों से इतर कोई चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है ।
अबतक मीडिया में यह नैरेटिव भी चल रहा था कि अध्यक्ष पद के लिए नाम को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और संघ के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी, इसलिए फैसले में देरी हो रही थी । लेकिन अब बताया जा रहा है कि रास्ते की यह बाधा दूर हो गई है ।
ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि क्या बीजेपी वाकई में पुरानी परंपरा को तेड़ते हुए पहली बार एक महिला को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाएगी ।